Chaitra Navratri 2023: नई दिल्ली/रायपुर: हिन्दू धर्म में त्योहारों व व्रतों का विशेष महत्व होता है। वहीँ, आज से देवी आराधना के महापर्व चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। अब से लगातार 9 दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा और साधना बड़े ही भक्ति भाव से की जाएगी। चैत्र नवरात्रि के शुरू होने के साथ ही आज से हिंदू नववर्ष भी प्रारंभ हो गया है।
Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि में देवी दूर्गा की पूजा-आराधना का विधान होता है। जिसमें लगातार नौ दिनों तक देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ मां के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। माता के नौ स्वरूपों के बारे में पुराणों में लिखा हैं।
प्रथम शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेती कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः।
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही विधि-विधान के साथ मां दूर्गा की पूजा उपासना प्रारंभ हो जाती है। आइए जानते हैं आज कैसे करें कलश स्थापना…
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
फिर मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें।
अब लाल कपड़ा बिछाकर उसपर अक्षत(चावल) रखें।
अब मिट्टी के पात्र में जौ बो दें और इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें।
अब कलश के मुख पर अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं।
अब इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें।
इसके उपरांत एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा बांधें।
अब इस कलश के ऊपर नारियल स्थापित करके देवि दुर्गा का आह्वान करें।
कलश के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल के धातु के अलावा मिट्टी का घड़ा शुभ माना गया है।
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