कोरबा/कटघोरा 9 जनवरी 2024 : पालिकाओं में नए अध्यक्षों के लिए आरक्षण की लॉटरी खुल गई है। कटघोरा नगर पालिका परिषद में इस बार अध्यक्ष पद ओबीसी मुक्त हो गया है। यानी अब यहां पिछड़ा वर्ग से कोई भी महिला, पुरुष चुनाव लड़ सकता है। आरक्षण से पहले इन कटघोरा नगर पालिका में अध्यक्ष पद को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं थीं। मसलन कहीं ओबीसी, तो कहीं महिला उम्मीदवारों के नाम की खूब चर्चा रही। आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब अध्यक्ष के चेहरों पर नए सिरे से चर्चाएं होने लगी हैं। जानिए…
कटघोरा नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग मुक्त होने से भाजपा व कांग्रेस से दावेदारों के कई नाम सामने आ रहे हैं तो वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी व आम आदमी पार्टी भी अपनी दावेदारी अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तुत करेगी। गोंगपा से शरद देवांगन जो कि पिछली दफा पार्षद चुनाव लड़ा और महज़ कुछ ही मतों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था लेकिन इस बार अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग मुक्त होने से शरद देवांगन अध्यक्ष की दावेदारी करने की बात सामने आ रही है। गोंगपा वार्डों में भी अपने पार्षद पद के प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है। वहीं आम आदमी पार्टी की बात करें तो पार्टी के प्रदेश मंत्री चंद्रकांत डिक्सेना भी अपनी दावेदारी सुनिश्चित करने की बात कही है साथ आप पार्टी वार्डों में भी अपना प्रत्याशी उतारने की बात कही है।
दोनों प्रमुख दलों के लिए अहम सीट
जनवरी 2025 से मतदाता सूची में नए नाम जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई है। ऐसे में मतदाता सूची अपडेट होने के बाद नए आंकड़े सामने आएंगे। बता दें कि कटघोरा नगर पालिका परिषद दोनों प्रमुख दलों के लिए अहम सीट मानी जाती है। यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच हमेशा सीधी टक्कर रही है। इस बार राज्य में भाजपा की सरकार होने से पालिका सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। भाजपा इसे हर हाल में जीतना चाहती है। जबकि पिछली बार भी पालिका चुनाव में कांग्रेस ने कड़े टक्कर के साथ यह सीट काबिज करने में सफलता पाई थी, कांग्रेस इस बार सत्ता पर काबिज होने के लिए कड़ी रणनीति बना रही है।
कटघोरा नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष पद को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। आरक्षण प्रक्रिया के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कांग्रेस और भाजपा जैसे प्रमुख राजनीतिक दल अध्यक्ष पद के लिए अपने प्रत्याशियों का चयन किस प्रकार करते हैं। नगर में चाय की दुकानों, चौक-चौराहों और गली-मोहल्लों में इस विषय पर चर्चाएं जोरों पर हैं। संभावित प्रत्याशियों के नामों को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं, और जनता यह जानने को उत्सुक है कि कौन सा चेहरा इन दलों का प्रतिनिधित्व करेगा। कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे न केवल उनकी राजनीतिक पकड़ का आकलन होगा, बल्कि भविष्य की सियासी रणनीतियों पर भी असर पड़ेगा। आने वाले दिनों में टिकट वितरण और चुनाव प्रचार को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां और बढ़ेंगी।
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