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जाति प्रमाण पत्र बनवाने विद्यार्थी व पालक दर-दर भटकने को मजबूर, 10 फीसदी विद्यार्थियों का ही अब तक बना है जाति प्रमाण पत्र, 1लाख 33 हजार से अधिक विद्यार्थी जमा नहीं कर पा रहे हैं आवेदन,सरकार की योजनाएं धरातल पर फेल

कोरबा। विद्यार्थियों के जाति प्रमाण पत्र को लेकर स्कूल प्रबंधन गंभीर नहीं है । जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है । शासकीय व निजी स्कूलों में दर्ज ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग के लगभग 10.87 फ़ीसदी विद्यार्थियों के पास ही जाति प्रमाण पत्र है । जबकि जिले में 77029 विद्यार्थियों को आवेदन किए हुए कई माह बीत चुके हैं। लेकिन उनका जाति प्रमाण पत्र अब तक नहीं बन सका है।

बताया जा रहा है कि स्कूल स्तर पर गंभीरता नहीं दिखाने के कारण इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है । इस कारण लगभग 1लाख 33 हजार से अधिक बच्चे आवेदन जमा नहीं कर सके हैं ।जिले में शासकीय निजी स्कूलों को मिलाकर कुल 2501 स्कूल संचालित है। इन स्कूलों में अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के 2 लाख 35 हजार 966 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। प्रशासन ने विद्यार्थियों का शत प्रतिशत जाति प्रमाण पत्र को लेकर अप्रैल व मई माह में प्रक्रिया शुरू करने को कहा था।

लेकिन स्कूल प्रबंधन व प्राचार्य को सहयोग के लिए कहा गया था ।।शिविर के माध्यम से विद्यार्थियों से आवश्यक दस्तावेज लेकर लोक सेवा केंद्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन जमा करना था। संबंधित जांच अधिकारी को दस्तावेज का निरीक्षण कर जाति प्रमाण पत्र जारी कर डाक से प्रेषित करना था लेकिन विभागीय अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं।

इस कारण 10 माह बाद भी लगभग 1लाख 2 हजार 679 विद्यार्थी आवेदन नहीं कर सके हैं। जिन्होने आवेदन जमा किए हैं उनमें 77 हजार 29 आवेदन लंबित है।। आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने में अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं । जिसके कारण छात्र छात्राओं को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिलाधीश के द्वारा भी जाति प्रमाण पत्र को लेकर अधिकारियों को गंभीरता दिखाने को बार-बार कहा गया है लेकिन उनके भी आदेशों की अवहेलना की जा रही है जिसके कारण बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
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