Chankya Niti: जिंदगी को बेहतर और खुशहाल बना के रखने के लिए आचार्य चाणक्य ने कई सारी नीतियां बताई हैं। इन नीतियों को अपनाने से जीवन काफी सरल और शांति से भरपूर हो जाता है। यहां जानिए इन तीन परिस्थितियों के बारे में जहाँ आचार्य चाणक्य के मुताबिक कभी फैसला नहीं लेना चाहिए, वरना सबकुछ बर्बाद भी हो सकता है।
जीवन में व्यक्ति को तरक्की और प्रगति की प्राप्ति के लिए कई बार बहुत ही ज्यादा कठोर परिश्रम करने कि आवश्य्कता होती है। आचार्य चाणक्य एक कुशल रणनीतिकार,अर्थ शास्त्री और शिखाविद थे। जिनकी नीतियां आज के समय में भी लक्ष्य प्राप्ति के लिए बेहद कारगर साबित होती हैं। आचार्य चाणक्य का मानना है कि जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं जहां व्यक्ति को किसी भी का निर्णय लेने से बचना चाहिए क्योंकि जल्दीबाजी में लिए गए इन फैसलों का आगे चलकर व्यक्ति के जीवन में गंभीर प्रभाव भी पड़ सकता है।
इसलिए जानते हैं कि वे कौन-कौन सी ऐसी परिस्थितियां हैं जहाँ व्यक्ति को निर्णय लेने से खुद का बचाव करना चाहिए।
1. आचार्य चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति को कभी भी क्रोध में कोई भी फैसला नहीं लेना चाहिए न ही उत्तर देना चाहिए। क्योंकि गुस्से में व्यक्ति का मानसिक संतुलन ठीक नहीं होता है, जिसमें वे जल्दबाजी में कोई भी फैसला ले सकता है। जिसका परिणाम बेहद बुरा भी हो सकता है। इसलिए कोशिश करें कि गुस्से को शांत करके ही कोई फैसला या निर्णय लें।
2. बहुत बार ऐसा होता है कि व्यक्ति बेहद खुश होता है, बेहद खुश होने के कारण वे अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाता है। ऐसे में उसे किसी भी प्रकार का निर्णय लेने से या वचन देने से बचना चाहिए। क्योंकि आशंका होती है कि ख़ुशी-ख़ुशी में वे कोई भी ऐसा निर्णय न ले ले या वचन ने ले ले जिसकी पूर्ती करने में उसे अनेकों दिक्कतों का सामना करना पड़े।
3. आचार्य चाणक्य का मानना था कि दुखी भाव से मनुष्य को कभी भी कोई फैसला नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में संभावना रहती है कि व्यक्ति गलत फैसला भी ले सकता है। व्यक्ति के साथ उसके परिवार को कई मुसीबतें हो सकती हैं। इसलिए प्रयास करना चाहिए कि दुखी भाव से कभी भी कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।
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