* जलके पांडोपारा मे विशेष जनजाति समुदाय के ग्रामीणों ने नेता विधायक प्रशासन के झूठे आश्वासन से तंग आकर श्रमदान कर अपने मोहल्ले में खोला आंगनवाड़ी,
* कई बार कलेक्टर कार्यालय एवं विधायक को जानकारी देने के बावजूद जनजाति बच्चों का पोषण शिक्षा का नहीं हो सका व्यवस्था
* 1 किलो चावल₹20 प्रत्येक घर के सहयोग से पांडो चलाएंगे आंगनवाड़ी,,
* तेंदू टिकरा पांडोपारा का आंगनबाड़ी केंद्र 4 किलोमीटर दूर छप्पर पारा में संचालित है कैसे जाएंगे छोटे बच्चे,
* लगभग 70 बच्चों का पोषण आहार एक माह में जाकर देती है आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,
छ,ग — कोरबा जिला के पोडीउपरोडा विकासखंड के ग्राम पंचायत जलके के आश्रित मोहल्ला तेदूटिकरा पांडो पारा के नाम से 4 किलोमीटर दूर छप्पर पारा मे आंगनबाड़ी संचालित है, शासन द्वारा लगभग 12 वर्ष पहले आंगनबाड़ी खोली गई है किंतु अधिक दूरी होने के कारण बच्चो का उक्त बालवाड़ी तक पहुंचाना संभव नहीं है,
जिसे गंभीरता लेते हुए मोहल्ले वासियों ने बैठक कर निर्मित गांधी कुटीर में आंगनवाड़ी पाठशाला संचालित की है, बालवाड़ी की संचालन प्रत्येक घर के हिसाब से 1 किलो चावल ₹ 20 सहयोग राशि लेकर की जाएगी ग्रामीण सीताराम ने बताया कि समाज के ही 12वीं पास महिला को कार्यकर्ता नियुक्त किया गया है एवं आठवीं पास महिला को बच्चों के देखभाल के लिए सहायिका नियुक्त किया गया है, पूर्व में कई बार इन समस्याओं को लेकर विशेष जनजाति के लोगों द्वारा कलेक्टर कार्यालय जाकर अवगत कराया जा चुका है किंतु आज तक इस समस्या का नहीं हो सका निदान, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी पांडो बच्चों के नाम पर हो रही मलोमाल, गरम भोजन के नाम पर शासन द्वारा सुखा अनाज एवं अन्य सामग्रियों के लिए कार्यकर्ता के खाते में राशि भुगतान की जाती है जिसका आज तक पांडो बच्चों को नहीं मिला लाभ, उक्त राशि का अब तक लाखों रुपए का हो चुका बंदर बांट,, पांडो समाज के लोगों ने सरपंच पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे द्वारा मूलभूत समस्याओं को लेकर ग्राम पंचायत को कई बार अवगत कराया किया जा चुका है, किंतु इनके द्वारा हर वक्त हमारे समस्याओं को नजरअंदाज किया जाता है, आपको बता दें की इस मोहल्ले में 80 जनजाति परिवार के लोग निवास करते हैं, यहां पर प्राथमिक शाला संचालित है, जिसमें आज तक ना ही भोजन कक्ष, ना शौचालय ,ना हीं हैंडपंप है, यहां के प्रधान पाठक ने बताया कि मेरे द्वारा संबंधित अधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है किंतु आज तक नहीं हो सका व्यवस्था, प्राथमिक शाला से 1 किलोमीटर दूर मध्यान भोजन करने को बच्चे जाया करते हैं पानी पीने भी काफी दूर जाते हैं, सौच के लिए गहरी नाले में जाना होता है,जो कभी भी गंभीर घटना हो सकती है, ऐसे विषम परिस्थिति में हम करें तो करें क्या, यह मोहल्ला हाथी प्रभावित क्षेत्र भी है कुछ दिन पहले इस मोहल्ले में हाथियों के झुंड ने भारी उत्पात मचाया था जिसमें कई पांडो समाज के लोगों के घरों को क्षतिग्रस्त किया गया था जो आज भी मौके में जाकर देखा जा सकता है, पांडोपारा के लोगों ने बताया कि, हाथी प्रभावित मोहल्लों के लिए सौर ऊर्जा बड़ी स्ट्रीट लाइट लगाने को आया था जिसे ग्राम पंचायत जलेके सरपंच उप सरपंच पंचाे ने अपने घरों में लगवा लिया है, पंडोपारा में एक भी क्रीडा विभाग से बड़ी टावर वाली लाइट नहीं लगाई गई है, इस तरह सरपंच उपपंच एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा पांडो समाज का शोषण किया जा रहा है, इन भोले भाले विशेष जनजातियों को शासन के महत्वाकांक्षी योजनाओं से विमुख किया जा रहा है, इस तरह पांडो परिवार के लोगों को शासन की मूलभूत सुविधा बिजली पानी शिक्षा स्वास्थ्य जैसे मूलभूत योजना का लाभ नहीं मिल रहा है पांडोपारा के लोगों ने कहा कि, बहुसंख्यक आदिवासी समाज के लोग, नहीं चाहते कि पांडो, बिरहोर, धनवार, कोरवा, मझवार, समाज के लोग पढ़ लिख कर मूल धारा में शामिल हो, उनको यह उपलब्धि राश नहीं आरहा है, उन बहुसंख्यक समाज के लोगों को ऐसा लगता है कि हम इन्हें अनपढ़ आज्ञान रखकर इन पर सदैव राज करते रहें, इस तरह पशुओं की तरह जीवन जीने को मजबूर कर दिया है,,,,
जन जन की आवाज़