मैं साल हूँ। साल दर साल जंगलों में खड़ा बेमिसाल हंू। मैंने देखा है वक़्त के साथ बहुत कुछ बदला। मैंने भी अपनी शाखाएँ बदली, पत्ते बदले, लेकिन टिका रहा एक ही जगह पर, तब तक जब तक कोई मुझे अपनी जरूरतों के मनमुताबिक ले नहीं गया। मैं साल हूँ। लू के थपेड़ों को सह लेने की शक्ति भी है मुझमें और जड़ से लेकर आकाश की ओर निहारतीं पत्तों की शाखाओं में चींटियों से लेकर पंछियों तक का मुझ पर बसेरा है। मैं जहाँ भी हूँ, जैसा भी हूँ… लिए हुए मुस्कान हूँ। न जानें कितनी पीढियां गुजर गई है। बहुत से लोग आए और चले गए। मैं उनके जीवन का जैसे हिस्सा बन गया। सबके काम आया। मैं किताब के पन्नों की तरह खुला हुआ था। जिन्होंने भी इन पन्नों को पढ़ा, वे मुझे समझते गए। मैं उनकी संस्कृति का भी हिस्सा बन गया। मुझे उन्होंने अपने सुख-दुख में शामिल कर रहन-सहन, तीज-त्यौहार से भी जोड़ दिया। मैं ही विकसित संस्कृति तो कहीं परम्परा की पहचान हूँ। मैं विकास की गाथा में शामिल अनगिनत कहानियों की दास्तान और मिसाल हूं। मैं साल हूँ। बेमिसाल हूूं…
। न जानें कितनी पीढियां गुजर गई है।
जी हाँ, यह साल है। साल यानी सरई, सखुआ और न जाने स्थानीय लोग इसे क्या-क्या नाम से जानते-पहचानते हैं। साल जिसका वैज्ञानिक नाम सोरिया रोबस्टा है। अपनी सैकड़ों खूबियों की वजह से आज यह वृक्ष न सिर्फ पवित्र माना जाता है, यह पूजनीय भी है। आदिकाल से यह मानव जाति के विकास की गाथा को आगे बढ़ाने के साथ आर्थिक मजबूती में भी अपनी सहभागिता देता चला आ रहा है। आज भले ही शहरों में रहने वाले युवा पीढ़ी पीपल, बरगद आंवला जैसे पेड़ो को पूजनीय समझते होंगे, लेकिन जो कभी जंगलों के आसपास रहे। जंगलो में गए। वे साल या सरई को भलीभांति जानते समझते हैं। यह साल का वृक्ष छत्तीसगढ़ राज्य की पहचान है। इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का राजकीय वृक्ष भी घोषित किया गया है। सरगुजा से लेकर बस्तर तक साल वृक्षों की न सिर्फ मौजूदगी है, अपितु पहाड़ियों के सुरक्षा घेरा के रूप में यह पवित्र वृक्ष जैव विविधता को संतुलित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। छत्तीसगढ़ ही नहीं अन्य राज्यों में भी साल वृक्ष की संख्या वहा की एक जीवन रेखा की तरह है। मानसून को राह दिखाने से लेकर उसे गतिशील बनाने में साल वृक्ष की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जाता है। सर्वाधिक औसत उम्र वाले साल वृक्ष को पवित्र मानने की वजहें भी बहुत होंगी। हमें भी समझना होगा कि हम उन्हीं वृक्षों की सेवा करते हैं, पूजा करते हैं जो हमारे लिए लाभदायक है।
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