केंद्र सरकार ने जीएसटी के जरिए होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए GST के नियमों में पिछले दिनों 86बी नियम जोडा था। जिसके तहत जिन कारोबारियों की मंथली 50 लाख से ज्यादा टर्नओवर होगा उन्हें 1 प्रतिशत जीएसटी का हिस्सा कैश जमा करना होगा। वहीं बकाया 99 प्रतिशत जीएसटी पहले की तरह इनपुट टैक्स क्रेडिट का इस्तेमाल करके चुकाने की सहूलियत मिलेगी। जीएसटी में किए गए इस संशोधन का व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया (कैट) ने विरोध शुरू कर दिया है और सरकार को पत्र लिख कर इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। वहीं इस पूरे मामले पर अब वित्त मंत्रालय की ओर से सफाई आई है।
50 लाख रुपए से अधिक टर्नओवर वालों पर लागू होगा नियम
वित्त मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा है कि जीएसटी नियमों में किए गए इस बदलाव से 45 हजार टैक्सपेयर्स प्रभावित होंगे। वित्त मंत्रालय के अनुसार जिन कारोबारियों का मासिक टर्नओवर 50 लाख रुपए से ज्यादा होगा। उन्हें ही केवल जीएसटी की 1 प्रतिशत राशि नगद जमा करानी होगी।
45,000 टैक्सपेयर्स होंगे प्रभावित
वित्त मंत्रालय के स्पष्टीकरण के अनुसार जीएसटी के नियमों में 86बी नियम जोड़ने से कुल 1.2 करोड़ टैक्सपेयर्स में से केवल 45 हजार टैक्सपेयर्स ही प्रभावित होंगे। वहीं वित्त मंत्रालय के अनुसार इस बदलाव से ईमानदार डीलर और कारोबारी प्रभावित नहीं होंगे। आपको बता दें वित्त मंत्रालय ने 22 दिसंबर को एक अधिसूचना जारी करके जीएसटी नियमों में नियम 86बी जोड़ने की जानकारी दी थी।
कैट ने की 86बी रोकने की मांग
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसटी में नियम 86बी को रोकने की मांग की है। इस प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कैट ने शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर मांग की है कि इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए और व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने सीतारमण को भेजे पत्र में यह भी कहा कि अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठकर जीएसटी कर प्रणाली की संपूर्ण समीक्षा करनी चाहिए तथा कर प्रणाली को और सरलीकृत करना चाहिए। कैट ने इस मुद्दे पर सीतारमण से मिलने का समय मांगा है।
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