कोरबा 02 अक्टूबर (वेदांत समाचार) आज दिनांक 02 अक्टूबर 2020 को सत्य, अहिंसा के पुजारी गांधी जी के जयंती अवसर पर सत्याग्रह के माध्यम से निम्नानुसार ज्ञापन प्रस्तुत है – जिसमे यह कि आदिशक्ति माँ अंगारमोती क्षेत्र की भूमि को कलेक्टर जिला धमतरी छ.ग. द्वारा ग्राम सभा गंगरेल के नाम अंगारमोती मड़ई मेला परिसर का पट्टा प्रदान किया गया है किन्तु मां अंगारमोती देवी ग्राम गंगरेल का मंदिर व परिसर तथा उसमें पूजा अर्जना, मड़ई-मेला वार्षिक समारोह, आदिवासी गोंड समाज के उपरोक्त कार्यों के संचालन हेतु गोंड समाज विकास समिति जिला धमतरी तथा आदिशक्ति मां अंगारमोती ट्रस्ट गंगरेल के माध्यम से किया जाता है। जिसकी जानकारी समस्त ग्रामवासी ग्राम गंगरेल एवं सभी लोगों को है। इस तथ्य को छुपाकर ग्राम सभा गंगरेल द्वारा पट्टा प्राप्त किया जाना कपटपूर्ण कृत्य है। ग्राम सभा द्वारा दिनांक 24.08.2015 को बिना कोरम पुरा किए ही प्रस्ताव 15 लोगों में ही प्रस्ताव पारित किया गया है। जबकि ग्राम सभा बिना कोरम पूरा किए कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं कर सकता, गंगरेल का कुल मतदाता 1344 है, जिसके हिसाब से 672 मतदाताओं में 33 प्रतिशत महिला एवं 66 प्रतिशत जबकि पुरूष उपस्थित होना अनिवार्य था उसके बाद भी बिना कोरम को पूरा किए अंगारमोती मेला मड़ई परिसर 3.03 हेक्टेयर गंगरेल का प्रस्ताव पारित किया गया है। वन अधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत गठित होने बाले वन अधिकार समिति में न्यूनतम 10 एवं अधिकतम 15 सदस्य होने चाहिए किंतु गंगरेल के बन अधिकार समिति में केवल 6 सदस्य ही होना बताया गया है जो कि अधिनियम के नियम के विरुद्ध है। वन अधिकार नियम में बन अधिकार पट्टा के लिए गैर जनजाति के लिए तीन पीढ़ी का निवासी होना आवश्यक है। जब मूल ग्राम गंगरेल रविशंकर जलाशय बांध बनने के बाद इबान में आ गया ,उसके बाद 1974-75 में गंगरेल का सिंचाई कॉलोनी बना तब गंगरेल गांव अस्तित्व में आया है। ऐसी स्थिति में गैर जनजाति का सामुदायिक बन अधिकार पट्टा के लिए दावा किया जाना गलत है। ग्राम पंचायत द्वारा दी गई सूचना में वनाधिकार समिति के सदस्यों की जो सूची दी गई है।
- पंच पद में निर्वाचित सदस्य भी शामिल है जो नियम विरुद्ध है अतः आदिशक्ति मां अंगारमोती परिसर का जारी गलत पट्टा को तत्काल निरस्त किया जावे।
- केंद्र सरकार देश में स्थापित राष्ट्र की संपत्ति शासकीय प्रतिष्ठानों को धड़ल्ले से बड़े-बड़े उद्योगपति निजी संस्थाओं को दे रहे है। निजीकरण कर रही है। जिसके कारण देश की संपत्ति कुछ चुनिंदा बड़े उद्योगपतियों के हाथों में चला जाएगा| ये उद्योगपति ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह मुनाफा के लिए देश की संसाधनों का बेतहाशा दोहन करेंगे कम कीमत में अधिक मुनाफा के लिए लोगों से बंधुआ मजदूर की तरह काम लेंगे। सरकार
सरकारी संपत्ति को निजी हाथों में बेचना तत्काल बंद करें। - कॉलेजियम सिस्टम समाप्त कर सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट में संविधान अनुच्छेद 312(1)(3) न्यायाधीशों की नियुक्ति यूपीएससी के पैटर्न पर अनुच्छेद 124 एवं 217 में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के जजों का भी अखिल भारतीय न्यायिक सेवा आयोग के माध्यम से चयन किए जाने तथा सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट सहित सभी न्यायालय के लिये शासकीय अधिवक्ताओं, विधि अधिकारियों का चयन प्रतियोगी परीक्षा व पदोन्नति द्वारा
किये जाने का प्रावधान बनाया जाय।जिससे अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को भी न्यायपालिका मे उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो सके। - पदोन्नति में आरक्षण लागू करने हेतु छत्तीसगढ़ शासन तत्काल ठोस पहल उठाए एवं इस दौरान हाईकोर्ट के आदेश का गलत व्याख्या कर पदोन्नति नियम, संवैधानिक प्रावधानों अनुच्छेद 16 (4) (क) 335 के परंतुक 82वां,85वां संविधान संशोधन,के प्रावधानों का उलंघन कर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिये पद सुरक्षित रखे बिना आरक्षण रोस्टर के विरूद्ध किये गये सभी पदोन्नति को रद्द करने व कर्नाटक की तरह एक
माह मे क्वांटीफाईबल डाटा एकत्र कर पदोन्नति मे परिणामिक वरिष्ठता सहित नवीन /संशोधन आरक्षण अधिनियम,नियम बनाया जाकर उच्च न्यायालय से रोस्टर का स्थगन समाप्त कराया जाये। - फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारियों व जारीकर्ता, संरक्षण, सहायता करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सरकार की घोषणा के अनुरूप तत्काल TRI द्वारा एफ आई आर केवियट दर्ज करने एवं विभाग द्वारा तत्काल सेवा से बर्खास्तगी ,वसुली सुप्रीम कोर्ट के फैसला स्टे 6 माह से अधिक नही रहेगा स्वतः निरस्त हो जायेगा और FCI विरुद्ध जगदीश बलराम बहिरा मे जारी आदेश के अनुसार हाईकोर्ट से स्टे हटवाने की कार्रवाई तत्काल की जाय। इसके लिये पैरवी हेतु पूर्व की तरह वरिष्ठ अधिवक्ताओं की समिति महाधिवक्ता से गठित करवाया जाए
- शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ द्वारा उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में बगैर आरक्षण रोस्टर का पालन किए व्याख्याता, सहायक ग्रेड 3, ग्रंथपाल आदि के पदों पर की जा रही भर्ती में आरक्षण रोस्टर का पालन किया जावे। ताकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सके।
7. सभी विभागों के नियुक्ति पदोग्नति से भरे जाने वाले रिक्त पदों, बैकलाग पदों, रोस्टर बैकलाग रोस्टर की जांच तत्काल गठित स्थायी समिति से कराया जाय।
08- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों, कर्मचारियों के लंबित शिकायत, विभागीय जांच, निलंबन,स्थानांतरण, पदोन्नति के प्रकरणों का शीघ्र निराकरण करने सेट प्रशासनिक अधिकरण, ट्रिब्यूनल की स्थापना की जाय। जब तक स्थापना नही होगी तब तक वरिष्ठ सचिवों की एक कमेटी गठित किया जाये।
अंतः आज 2 अक्टूबर 2020 गांधी जयंती के अवसर पर उपरोक्त सभी बिंदुओं पर विचार करते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग करते हैं।
जन जन की आवाज़