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साहब हम जिंदा हैं…! CG में सरकारी सिस्टम ने जिंदा इंसानों को मार डाला, 20 से ज्यादा लोग दफ्तरों का काट रहे चक्कर, कहीं 50 हजार का खेल तो नहीं ?

रायपुर। साहब, हम जिंदा हैं, इन शब्दों को कहते हुए राजधानी के करीब 20 लोग खुद के जिंदा होने की गवाही दे रहे हैं. सरकारी दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी तक अपने आप को जिंदा साबित नहीं कर सके हैं. सरकारी कागजों में मृत घोषित हो चुके लोग दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. LALLURAM.COM से इन लोगों ने अपनी आप बीती सुनाई, जो किसी को भी सकते में डाल रहा है.,,दपअसल, ना ये तो भूत प्रेत की कहानी है ना ही, ना ही कोई किवदंति, ये असल में सच है, इस सच की पुष्टि मरे हुए व्यक्ति अपने सरकारी दस्तावेज़ लेकर स्वयं कर रहे हैं. हैरान कर देने वाली बात यह है कि ये मरे हुए व्यक्ति हमारी तरह ही खाते-पीते हैं उठते -बैठते हैं, बोलते बताते हैं. इतना ही नहीं हम स्वयं उनसे बात कर रहे हैं. मौत की बातें सुनकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग के कार्य पर सवाल उठाते हुए को कोस रहे

दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा वेरिएंट ने हज़ारों बच्चों को अनाथ किया ही नहीं बल्कि हज़ारों परिवार के लोग अपने परिजनों को खो दिए थे, लेकिन जिनका कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ पाया उसको सिस्टम ने मार डाला है. हैरान करने वाली बात ये है कि जो व्यक्ति कोरोना हॉस्पिटल या सेंटर में भर्ती ही नहीं हुआ, वहां उसकी मौत कैसे हो सकती है.

सत्यपाल राजपूत, रायपुर। साहब, हम जिंदा हैं, इन शब्दों को कहते हुए राजधानी के करीब 20 लोग खुद के जिंदा होने की गवाही दे रहे हैं. सरकारी दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी तक अपने आप को जिंदा साबित नहीं कर सके हैं. सरकारी कागजों में मृत घोषित हो चुके लोग दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. LALLURAM.COM से इन लोगों ने अपनी आप बीती सुनाई, जो किसी को भी सकते में डाल रह

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दपअसल, ना ये तो भूत प्रेत की कहानी है ना ही, ना ही कोई किवदंति, ये असल में सच है, इस सच की पुष्टि मरे हुए व्यक्ति अपने सरकारी दस्तावेज़ लेकर स्वयं कर रहे हैं. हैरान कर देने वाली बात यह है कि ये मरे हुए व्यक्ति हमारी तरह ही खाते-पीते हैं उठते -बैठते हैं, बोलते बताते हैं. इतना ही नहीं हम स्वयं उनसे बात कर रहे हैं. मौत की बातें सुनकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग के कार्य पर सवाल उठाते हुए को कोस रहे हैं.

दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा वेरिएंट ने हज़ारों बच्चों को अनाथ किया ही नहीं बल्कि हज़ारों परिवार के लोग अपने परिजनों को खो दिए थे, लेकिन जिनका कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ पाया उसको सिस्टम ने मार डाला है. हैरान करने वाली बात ये है कि जो व्यक्ति कोरोना हॉस्पिटल या सेंटर में भर्ती ही नहीं हुआ, वहां उसकी मौत कैसे हो सकती है.

मैं ज़िंदा हूं साहब, मेरा नाम कुमारी बाई राजपूत है, आपके बनाए हुए सरकारी दस्तावेज़ में मेरे पास राशन कार्ड है और आधार कार्ड भी. मेरे को कोरोना हुआ था, मुझे उम्र के आधार पर माना स्थित कोविड सेंटर में भर्ती किया गया था, मुझे कोई सिम्टम्स नहीं थे.

छः से सात दिन में मुझे डिस्चार्ज कर दिया गया था, लेकिन मुझे 04- 13-2021 को मृत घोषित कर दिया गया है, वो भी उस कोविड हॉस्पिटल में जहां मै कभी गई ही नहीं, इंडोर स्टेडियम हॉस्पिटल के डेथ लिस्ट में मेरा नाम है, इस पर जांच होनी चाहिए कार्रवाई भी..

 

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
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