रायपुर। साहब, हम जिंदा हैं, इन शब्दों को कहते हुए राजधानी के करीब 20 लोग खुद के जिंदा होने की गवाही दे रहे हैं. सरकारी दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी तक अपने आप को जिंदा साबित नहीं कर सके हैं. सरकारी कागजों में मृत घोषित हो चुके लोग दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. LALLURAM.COM से इन लोगों ने अपनी आप बीती सुनाई, जो किसी को भी सकते में डाल रहा है.,,दपअसल, ना ये तो भूत प्रेत की कहानी है ना ही, ना ही कोई किवदंति, ये असल में सच है, इस सच की पुष्टि मरे हुए व्यक्ति अपने सरकारी दस्तावेज़ लेकर स्वयं कर रहे हैं. हैरान कर देने वाली बात यह है कि ये मरे हुए व्यक्ति हमारी तरह ही खाते-पीते हैं उठते -बैठते हैं, बोलते बताते हैं. इतना ही नहीं हम स्वयं उनसे बात कर रहे हैं. मौत की बातें सुनकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग के कार्य पर सवाल उठाते हुए को कोस रहे
दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा वेरिएंट ने हज़ारों बच्चों को अनाथ किया ही नहीं बल्कि हज़ारों परिवार के लोग अपने परिजनों को खो दिए थे, लेकिन जिनका कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ पाया उसको सिस्टम ने मार डाला है. हैरान करने वाली बात ये है कि जो व्यक्ति कोरोना हॉस्पिटल या सेंटर में भर्ती ही नहीं हुआ, वहां उसकी मौत कैसे हो सकती है.
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