वनांचल की महिला को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार एकता परिषद से जुड़ी निर्मला कुजूर सहित 10 का चयन इनाम में मिलेंगे 1000 यू एस डॉलर आदिवासियों के बीच चला रही है जागरूकता अभियान

कोरबा जन जन की आवाज : छत्तीसगढ़ के दूरस्थ वनांचल में रहने वाली एक आदिवासी महिला को अंतरराष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार मिलने जा रहा है। गांधीवादी संगठन एकता परिषद से जुड़ी निर्मला कुजूर ने बीहड़ वनांचल में लुप्तप्राय आदिवासियों के बीच जो कार्य किया है, वो वाकई सराहनीय है। इस वर्ष विश्व भर की 10 महिलाओं को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। इनमें दो महिलाएं मध्यप्रदेश की हैं,और वह दोनों भी एकता परिषद से जुड़ी हुई हैं।
जिला मुख्यालय कोरबा से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ग्राम चंद्रौटी, जो पसान उप तहसील के अन्तर्गत आता है। इस गांव की महिला निर्मला कुजूर की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा, जब उसे साथियों ने महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार उसे मिलने की बात बताई। निर्मला को जो डब्लयू – डब्लयू एफ एस नामक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिलने जा रहा है, वो महिलाओं को ग्रामीण जनजीवन में रचनात्मक कार्यों के लिए दिया जाता है। बीते ढाई दशक से दिए जा रहे डब्लयू – डब्लयू एफ एस पुरस्कार के तहत चयनित 10 महिलाओं में से प्रत्येक को 1000 यू एस डॉलर भी दिया जाता है। निर्मला ने खुशी का इजहार करते हुए बताया कि वह बीहड़ वनांचल में रहने वाले आदिवासियों के बीच काम करते उन्हें जागरूक कर रही हैं।
बीते कई सालों से जल, जंगल और जमीन के लिए काम कर रहे संगठन एकता परिषद से जुड़ी निर्मला कुजूर संस्था के प्रमुख पी वी राजगोपाल को अपना प्रेरणाश्रोत मानती हैं। निर्मला ने पसान क्षेत्र के पंडरी पानी गांव में रहने वाले धनुहार आदिवासियों के बीच काम किया। वो बताती है कि गांव में दो दर्जन धनुहार आदिवासि रहते हैं जो एक ढोड़ी का पानी पीते थे, इसी ढोड़ी से जानवर भी पानी पीते थे। निर्मला ने इन्हें प्रेरित किया, फिर सभी ने मिलकर श्रमदान से एक कुआं खोद डाला। इसके अलावा निर्मला ने ग्रामीणों को वन अधिकार पट्टा दिलाने के लिए काफी प्रयास किया है।