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लैंगा सरपंच व तत्कालीन सचिव का कारनामा : कोरोना काल मे प्रवासी मजदूरों को खिलाया 1.50 लाख का खाना, 46 हजार का भुगतान रसोइए को, 12 हजार की मिठाई भी बांटी* 0 फर्जी बिल लगाकर पंचायत को लगाया लाखों का चूना.

कटघोरा कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा:-जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक के लैंगा ग्राम पंचायत के सरपंच और तत्कालीन सचिव ने मिलकर भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी है। कागजों पर कार्य दिखाकर दोनों ने मिलकर फर्जी बिल लगाकर शासन को लाखों रुपए का चूना लगाया है।

ग्राम पंचायत लैंगा की महिला सरपंच श्रीमती संतकली आयाम और तत्कालीन सचिव रहे जयसिंह मेश्राम ने मिलकर भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी और कागजों पर कार्य दिखा दोनों ने मिलकर फर्जी बिल लगाकर शासन को लाखों रुपए का चूना लगाया है। यह फर्जीवाडा कोरोना काल में किया गया है। गांव में क्वारंटाइन सेंटर खोलकर मजदूरों को खाना खिलाने के नाम पर लाखों का वारा न्यारा किया गया है तथा मनमाफिक खर्च बताकर रुपयों का आहरण कर लिया गया है। मजे की बात यह है कि कोरोना काल के दौरान 12 हजार की मिठाई भी बांटी गई है। अब यह मिठाई प्रवासी मजदूरों को खिलाई गई ऐसा प्रतीत होता है क्योंकि लाकडाउन में हर वर्ग अपने घरों में कैद था। सरपंच- सचिव ने यह कारनामा 14वें वित्त आयोग के रुपयों से किया है और कागजों पर काम बताकर फर्जी बिल के माध्यम से लाखों रुपए का चूना शासन को लगाया गया है। जियोटैग के अनुसार सरपंच और सचिव के इस काले कारनामे का खुलासा हुआ है। जिसके अनुसार रिचार्ज बाउचर की तिथि 13/10/2020 को कोरेनटाइन सेंटर हेतु खाद्य सामाग्री खरीदी पर 1.50 लाख, 16/12/2020 की तिथि में रसोइये के भुगतान पर 46.400 रुपए एवं इसी तिथि यानि 16/12/2020 को राष्ट्रीय पर मिठाई खरीदी पर 12.620 रुपए का भुगतान जियोटैग में उल्लेख है। इस ग्राम के ग्रामीण भी इस भुगतान को लेकर हतप्रद है और दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर है तथा यह बात उनके गले नही उतर रही कि गिनती भर के ठहरे प्रवासी मजदूर क्या महीनों के भूखे रहे जो लाखों का राशन खा गए वही रसोइया भी फाइव स्टार होटल का रहा होगा जिसको 46 हजार का भुगतान किया गया तथा 12 हजार की मिठाई भी प्रवासी मजदूरों को खिलाई गई होगी। मजेदार बात यह है कि अधिकारियों ने भी तब इतने सारे भुगतान बिना सोचे समझे कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि शासन से प्राप्त राशि का सरपंच व तत्कालीन सचिव द्वारा मिलकर दुरुपयोग करते हुए जमकर आर्थिक अनियमितता की गई है। इसी तरह के अनियमितता पेयजल व्यवस्था व अन्य निर्माण कार्यों की आड़ में भी किया गया है। जिसमे भी लाखों का वारा- न्यारा सरपंच- सचिव की मिलीभगत से हुआ है। जिस भ्रष्ट्राचार में लगाए गए बिल में न तो टीन नम्बर है न ही जीएसटी का भुगतान शासन को किया गया है। सरपंच के साथ मिलकर मनमाने भ्रष्ट्राचार का खेला करने वाले सचिव जयसिंह मेश्राम वर्तमान अमलीकुंडा पंचायत का कार्यभार देख रहे है और यहाँ भी सरपंच को अपने झांसे में लेकर मनमाफिक गड़बड़ घोटाले को अंजाम देने में लगे है। जिस तमाम घोटालों को परत दर परत आगे के अंकों मे प्रसारित किया जाएगा।

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
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