रायपुर/बस्तर. छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग की खास रेसिपी लाल चींटी की चटनी (चापड़ा चटनी) वर्ल्ड फेमस है. लाल चींटी की चटनी के बारे में आपने कई बार पढ़ा, सुना और जाना होगा, लेकिन आपको शायद ही पता हो कि लाल चींटी से दूसरे खाद्य पदार्थ भी बस्तर में खूब पसंद किए जाते हैं. एक बार इसका टेस्ट लेने वाले बाहर के लोग भी बाद में इसकी खूब डिमांड करते हैं. बस्तर में लाल चींटी की चटनी के अलावा सूप, अचार और बड़ी बनाई जाती है. किसी भी सीजन में खाने के लिए रखने के लिए अचार और बड़ी खूब बनाई जाती है. खासकर बारिश के सीजन के लिए इसे लोग पहले से ही तैयार कर घरों में रख लेते हैं.
बस्तर के जिला मुख्यालय जगदलपुर से दंतेवाड़ा जाने वाले नेशनल हाईवे के किनारे तिरतुम में आमचे बस्तर ढाबा का संचालक राजेश यालम करते हैं. राजेश बताते हैं कि उनके ढाबे की पहचान के लिए ही है. यानी कि यहां बस्तर के पारपंरिक व्यंजन बनाए जाते हैं. आमतौर पर दूसरे व्यंजन अन्य जगहों पर भी उपलब्ध हो जाते हैं, लेकिन लाल चींटी की चटनी और अन्य प्रोडक्ट दूसरे जगह नहीं मिलते हैं. राजेश कहते हैं कि बाहर से आने वाले लोग आमतौर पर सिर्फ लाल चींटी की चटनी के बारे में ही जानते हैं, लेकिन लाल चींटी का अचार, बड़ी और सूप की भी डिमांड यहां खूब होती है.
क्या है रेसिपी?
के संचालक 23 वर्षीय आदिवासी युवा राजेश यालम बताते हैं कि जैसे रखिया बड़ी, मूंग या उड़द की बड़ी बनाई जाती है उसी तरह से ही लाल चींटी की बड़ी भी तैयार की जाती है, उसे सिलबट्टे पर पिसकर अन्य सामग्री के साथ गुथते हैं और फिर लड्डू के आकार का बनाकर उसे सूखा दिया जाता है. इसी तरह लाल चींटी का अचार भी आम के आचार की तरह ही बनाया जाता है. टमाटर के सूप की तरह लाल चींटी के चटनी का सूप तैयार किया जाता है. आमतौर पर बाजार में इसे नहीं बेचा जाता, लेकिन स्पेशल डिमांड पर हमारे ढाबे में इसे बनाया जाता हैतो हमारे रनिंग फूड आयटम में शामिल है.
लाल चींटी के फायदे
जानकारों की मानें तोमें ऐसे गुण होते हैं, जो मनुष्य के शरीर में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ाने का काम करते हैं. बताया जाता है कि बीहड़ जंगली इलाकों में सर्दी, बुखार या अन्य मौसमी बीमारी होने पर आदिवासी ग्रामीण इसका सेवन करते हैं. उन्हें इससे तात्कालिक राहत भी मिल जाती है.
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