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यह कैसा धान खरीदी अभियान !माननीयों के अनुशंसा पर त्वरित संज्ञान ,किसानों की समस्याओं का नहीं रहा ध्यान ,कोरबा में सीमित किसानों के लिए 5 नए उपार्जन केंद्र खोलने प्रस्ताव भेजने का फरमान ,समिति द्वारा प्रस्तावित 5 नए केंद्रों का प्रस्ताव डाला ठंडे बस्ते में

छ,ग कोरबा । आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के किसानों की समस्याओं से शासन को सरोकार नहीं ,जी हां वर्तमान खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में चल रही धान खरीदी अभियान को देखकर कुछ यही प्रतीत हो रहा।

जहां सहकारी समितियों से अधिक किसानों की संख्या वाले प्रस्तावित 5 उपार्जन केंद्रों को मंजूरी नहीं मिली वहीं शासन ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों (विधायकों) द्वारा अनुसंशित 5 ऐसे केंद्रों की सूची कोरबा जिला प्रशासन को थमा दी है जहां सीमित रकबा व सीमित किसान हैं। संबधित विभाग के अधिकारी भी इससे हैरान हैं।शासन की इस अदूरदर्शिता की वजह से धान बेचने आने वाले किसानों को भारी परेशानियों से जूझना पड़ेगा।

यहां बताना होगा कि प्रदेश में इस साल 1 नवंबर से धान खरीदी अभियान का आगाज हो गया है ।समर्थन मूल्य पर पंजीकृत किसानों से धान खरीदे जा रहे हैं। हर साल शासन किसानों की सुविधाओं को प्राथमिकता में रखकर धान खरीदी करती है। इन सुविधाओं में सबसे प्रमुख धान उपार्जन (खरीदी) केंद्र होते हैं। शासन का पिछले कुछ वर्षों से उपार्जन केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित रहा है ,ताकि किसानों को धान बेचने लंबा फासला तय कर समय व धन का नुकसान न उठाना पड़े। इसी परिप्रेक्ष्य में हर साल कार्यालय उप पंजीयक एवं सहकारी बैंक के माध्यम से समितियों से प्रस्ताव मंगाती है । जिसे धान खरीदी शुरू होने से पूर्व मापदंडों में परखकर नवीन उपार्जन केंद्रों की स्वीकृति दी जाती है। जहां खरीदी के लिए भवन ,सुव्यवस्थित फड़ ,कर्मचारी ,खरीदी उपकरण से लेकर तमाम माकूल इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से देखने को मिल रहा है समितियों द्वारा किसानों की समस्याओं का आंकलन कर जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तावित समितियों की जगह माननीयों (स्थानीय विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि )द्वारा अनुशंसित उपार्जन केंद्रों को स्वीकृति में प्राथमिकता मिल रही । इस साल भी आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के मामले में ऐसी ही परिस्थितियां अब तक बनी हुई है। किसानों को धान बेचने लंबा फासला तय न करना पड़े इसलिए पांच उपार्जन केंद्रों का प्रस्ताव भेजा गया था। इनमे कोरकोमा समिति से चचिया,श्यांग समिति से लेमरू ,अखरपाली -भिलाईबाजार समिति से मुढाली ,उतरदा समिति से बोईदा एवं पाली समिति से बक्साही नवीन उपार्जन केंद्र के रूप में प्रस्तावित था। पर धान खरीदी शुरू होने के बाद भी इनमें से एक भी प्रस्तावित उपार्जन केंद्रों को स्वीकृति नहीं मिली वहीं इसके उलट पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र के माननीयों द्वारा अनुशंसित 5 नए केंद्रों का प्रस्ताव तैयार करने कोरबा जिला प्रशासन के संबंधित विंग (उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं एवं जिला सहकारी बैंक )को आदेश जारी किया गया है। जिन पांच केंद्रों का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया है उनमें लाफा समिति से पोटापानी ,पोंडी समिति से बतरा ,चैतमा से रजकम्मा ,एवं बिंझरा से तानाखार शामिल है। कुटेशरनगोई भी प्रस्तावित था पर वहां महज गिनती के किसान थे लिहाजा वो मापदंड में नहीं आ सका। इस तरह जिले से पूर्व में 5 एवं वर्तमान में 4 कुल 9 केंद्रों का प्रस्ताव भेजा जा चुका है । जिसमें से अब तक एक भी केंद्र को मंजूरी नहीं मिली। उम्मीद जताई जा रही है कि धान खरीदी का पिक ( दिसम्बर माह ) आने से पूर्व प्रस्तावित केंद्रों को स्वीकृति मिल सकती है।

तो क्या महज वोट बैंक के लिए खोले जा रहे !

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो धान खरीदी अभियान भी आजकल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे।यही वजह है कि बिना मापदंड के नवीन उपार्जन केंद्रों के प्रस्ताव भेज दिए जा रहे। कुछ जगह तो 50 किसान से भी कम रहते हैं फिर भी उपार्जन केंद्र खोल दिए जा थे तो कहीं 5 हजार से भी किसानों की अनदेखी की जा रही है। जिसका खमियाजा किसानों को धान बेचने आने के दौरान उठाना पड़ रहा।

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
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