भारत में आए कोरोना संकट को देख कई अन्य देश मदद को आगे आए है इस बीच केन्या भी मदद को आगे आया केन्या ने भारत को 12 टन अनाज भेजा है। वहीं केन्या द्वारा भेजे गए 12 टन सामान पर बहुत से लोग मज़ाक उड़ा रहे हैं। सोशल मीडिया पर केन्या को ‘भिखारी, भिखमंगा, गरीब’ आदि आदि कहा जा रहा है। अब आपको हम एक घटना के बारे में बताते हैं….
आपने अमरीका का नाम सुना होगा, मैनहैटन का भी, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का भी तथा ओसामा बिन लादेन का भी। जो अधिकांश लोगों ने नहीं सुना होगा वो है ‘इनोसाईन गाँव’ जो पड़ता है केन्या तथा तंजानिया के बॉर्डर पर और यहाँ की लोकल जनजाति है ‘मसाई’। अमेरिका पर हुए 9/11 के हमले की सूचना मसाई लोगों तक पहुचने में कई महीने लग गए।
ये ख़बर उन तक तब पहुंची जब उनके गांव के पास के ही कस्बे में रहने वाली, स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की मेडिकल स्टूडेंट किमेली नाओमा छुट्टियों में वापस केन्या आयी तथा वहां की लोकल जनजाति मसाई को 9/11 का आंखों देखा हाल सुनाया। कोई बिल्डिंग इतनी ऊंची हो सकती है कि वहाँ से गिरने पर जान चली जाए, झोपड़ी में रहने वाले मसाई लोगों के लिए ये बात अविश्वसनीय थी लेकिन फिर भी उन लोगों ने अमरीकियों के दुःख को महसूस किया तथा उसी मेडिकल स्टूडेंट के जरिए केन्या की राजधानी नैरोबी में अमेरिकी दूतावास के डिप्टी चीफ़ विलियम ब्रांगिक को एक पत्र भिजवाया जिसे पढ़ने के पश्चात् विलियम ब्रांगिक ने पहले हवाई जहाज का सफर किया, उसके पश्चात् कई मील तक टूटी फूटी सड़क पर कठिनाई का रास्ता पर करते हुए मसाई जनजाति के गांव पहुँचे।
गांव पहुंचने पर मसाई जनजाति के लोग एकत्रित हुए तथा एक लाइन में 14 गायें ले कर अमरीकी दूतावास के डिप्टी चीफ़ के पास पहुंचे। मसाईयों के एक बुज़ुर्ग ने गायों से बंधी रस्सी डिप्टी चीफ़ के हांथों पे पकड़ाते हुए एक तख़्ती की ओर इशारा कर दिया। जानते हैं उस तख़्ती पर क्या लिखा था? लिखा था- ‘इस दुःख की घड़ी में अमरीका के लोगों की सहायता के लिए हम ये गायें उन्हें दान कर रहे हैं।” जी हाँ, उस पत्र को पढ़ कर दुनिया के सबसे ताकतवर और समृद्धि देश का राजदूत सैकड़ों मील चल कर 14 गायों का दान लेने आया था। गायों के ट्रांसपोर्ट की कठिनाई तथा कानूनी बाध्यता की वजह से गायें तो नहीं जा पायीं लेकिन उनको बेंचकर एक मसाई आभूषण ख़रीद कर 9/11 मेमोरियल म्यूजियम में रखने की पेशकश की गई। जब ये बात अमरीका के आम जनता तक पहुंची तो पता है क्या हुआ? उन्होंने आभूषण की बजाय गाय लेने की ज़िद्द कर दी। ऑनलाइन पिटीशन साइन किये गए की उन्हें आभूषण नहीं गाय ही चाहिए, अफसरों को ईमेल लिखे गए, नेताओं से बात की गई और करोड़ों अमरीका वासियों ने मसाई जनजाति तथा केन्या के लोगों को इस अभूतपूर्व प्रेम के लिए कृतज्ञ भाव से धन्यवाद दिया, उनका अभिनंदन किया। 12 टन अनाज को सहर्ष स्वीकार करिए। दान देने वाला सबसे बड़ा होता है ये जरुरी नहीं उसने कितना दिया है जरुरी ये है कि उसने दिया है… कंकड़ उठा कर सेतु में अपना सहयोग देने वाली गिलहरी का छोटा सा कार्य मत देखिए उसके द्वारा की गई मद देखिए…
जन जन की आवाज़