बिलासपुर– जेसीसीजे अध्यक्ष अमित जोगी ने जाति मामले में सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली है।
अमित जोगी ने अपने खिलाफ चल रहे जाति मामले में जांच को रोकने की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी है।
राज्य सरकार की जाति छानबीन समिति के संशोधन और अपने खिलाफ चल रही जाति संबंधी जांच को रोकने की अमित जोगी ने मांग की थी। मामले में राज्य सरकार की ओर से राजीव धवन ने की पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, इसी तरह की याचिका हाईकोर्ट में लम्बित है, जिसमें पिता, पत्नी और अमित जोगी ने खुद याचिका दायर की है। लिहाज़ा सुप्रीम कोर्ट में अमित जोगी की याचिका चलने योग्य नहीं है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की अनुमति से अमित जोगी ने याचिका वापस ले ली है।
बता दें, अमित जोगी ने बताया कि 27 अक्टूबर 2013 को उनके आवेदन पर तहसीलदार ने अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र दिया। इसी प्रमाण पत्र के आधार पर उन्होंने मरवाही क्षेत्र से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। इसको फर्जी बताते हुए समीरा पैकरा व संत कुमार नेताम ने जाति प्रमाण पत्र उधा अधिकार समिति से जांच का अनुरोध किया था। जिला प्रमाण पत्र समिति ने चार जुलाई 2020 को अमित जोगी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसके बाद मामला रायपुर स्थित राज्य की उच्च प्रमाण पत्र समिति को भेजा गया। इसी बीच अमित जोगी ने अक्टूबर में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की। उन्होंने 24 सितंबर 2020 को नियमों का अनुसंशोधन को गैरकानूनी व भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए निरस्त करने की मांग रखी है।
पत्नी की याचिका हाई कोर्ट में लंबित
ऋचा जोगी के अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र को मुंगेली जिला स्तरीय जाति छानबीन समिति ने निलंबित कर दिया है। जिला स्तरीय जाति छानबीन समिति के आदेश को ऋचा ने अपने वकील के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में चुनौती दी है। बीते दिनों हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी।
छग हाई कोर्ट ने ओपन कोर्ट में सुनवाई की व्यवस्था दी है। ऋचा जोगी के जाति प्रमाण पत्र निलंबित होने व अमित के कंवर आदिवासी जाति प्रमाण पत्र को राज्य स्तरीय जाति छानबीन समिति द्वारा रद करने के कारण जोगी परिवार मरवाही विधानसभा उपचुनाव से बाहर हो गया था। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद यह पहली बार हुआ जब मरवाही के चुनावी मैदान से जोगी परिवार की सहभागिता नजर नहीं आई।
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