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नक्सलियों का 5 जून को छत्तीसगढ़ और गढ़चिरौली में बंद, बोले- 9 ग्रामीण किए लापता, बस्तर संभाग से हटें पुलिस कैंप

छत्तीसगढ़ में सुकमा के सिलेगर में हुई मुठभेड़ का विरोध तेज हो गया है। नक्सलियों ने विरोध में 5 जून को छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में बंद का आह्वान किया है। नक्सलियों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने 9 ग्रामीणों को लापता कर दिया है। साथ ही लोगों से इसके खिलाफ प्रदर्शन करने और बस्तर संभाग से पुलिस कैप हटाने की मांग की है। वहीं सर्व आदिवासी समाज ने भी मुठभेड़ पर सवाल उठाए हैं। कहा है कि पुलिस पर नामजद FIR दर्ज की जाए।

 

नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प की ओर जारी किए इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मरने वालों में तिम्मापुरम का 14 साल का उयका पांडु भी शामिल है।

नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प की ओर जारी किए इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मरने वालों में तिम्मापुरम का 14 साल का उयका पांडु भी शामिल है।

 

38 गांवों के 296 ग्रामीण घायल, इनमें कई की हालत गंभीर

पुलिस की इस मुठभेड़ में अब तक गर्भवती महिला सहित 4 लोगों की मौत हो चुकी है। नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प की ओर जारी किए इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मरने वालों में तिम्मापुरम का 14 साल का उयका पांडु भी शामिल है। वहीं 38 गांवों के 296 ग्रामीण घायल हैं। इनमें कई की हालत गंभीर है। यह आंदोलन सिर्फ पुलिस के विरोध में नहीं, बल्कि पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को भावी पीढ़ी के लिए बचाने का भी है।

 

नक्सलियों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने 9 ग्रामीणों को लापता कर दिया है। साथ ही लोगों से इसके खिलाफ प्रदर्शन करने और बस्तर संभाग से पुलिस कैंप हटाने की मांग की है।

नक्सलियों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने 9 ग्रामीणों को लापता कर दिया है। साथ ही लोगों से इसके खिलाफ प्रदर्शन करने और बस्तर संभाग से पुलिस कैंप हटाने की मांग की है।

 

सर्व आदिवासी समाज ने 4 पन्नों की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की

वहीं सिलेगर मामले की जांच करने गए सर्व आदिवासी समाज ने अपनी 4 पन्नों की रिपोर्ट सार्वजनिक की है। रिपोर्ट में भी मुठभेड़ पर सवाल उठाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि जो ग्रामीण मारे गए, उन्हें पुलिस ने नक्सली बताया है। ऐसे में जो बच गए, वो ग्रामीण कैसे हो सकते हैं? रिपोर्ट में कहा है कि 17 मई को सिलगेर में हुई पुलिस फायरिंग में 3 आदिवासी ग्रामीणों की मौत हो गई थी। जांच दल संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर के नेतृत्व में गठन किया गया था।

 

ग्रामीणों ने अपनी मांगों का ज्ञापन संभागायुक्त को सौंपा था। इसके बाद SP के प्रस्ताव पर सुकमा कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए गए हैं।

ग्रामीणों ने अपनी मांगों का ज्ञापन संभागायुक्त को सौंपा था। इसके बाद SP के प्रस्ताव पर सुकमा कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए गए हैं।

 

पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से कैंप के लिए जमीन पर कब्जा किया

रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच दल के पास करीब 15 से 20 हजार ग्रामीण एक जगह पर एकत्र थे। उनसे बात की गई तो स्पष्ट हुआ कि सुरक्षा बल के कैंप निर्माण के लिए कोई ग्रामसभा का आयोजन नहीं किया गया और न ही प्रस्ताव पारित किया। जिस जगह पर कैंप खोला गया है, वह निजी जमीन है। जमीन के मालिक और उसका परिवार सालों से वहां खेती कर रहा है। रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से जमीन पर कब्जा किया है।

 

सर्व आदिवासी समाज की मांगें

 

घटना की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से तय समय पर कराई जाए।

सभी दोषियों को कानून के अनुसार ही सजा दी जानी चाहिए।

पुलिस के ऊपर नामजद एफआईआर दर्ज की जाए

जिन लोगों को जेल भेजा गया है, उन्हें नि:शर्त रिहा किया जाए और किसी भी प्रकार का थाने में प्रकरण दर्ज न हो।

कैंप हटाया जाए। स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और अस्पताल स्थापित किया जाए।

विधिवत ग्रामसभा का आयोजन डिप्टी कलेक्टर स्तर के अफसर की उपस्थिति में किया जाए।

ग्रामसभा की परामर्श प्रस्ताव के अनुसार ही काम किया जाए।

प्रभावितों को मुआवजा के साथ ही सरकारी नौकरी देने की मांग भी उन्होंने की है।

ग्रामीणों ने पुलिस फायरिंग में मारे गए 3 लोगों और भगदड़ में जान गंवाने वाली गर्भवती महिला की याद में स्मारक बना दिया है।

ग्रामीणों ने पुलिस फायरिंग में मारे गए 3 लोगों और भगदड़ में जान गंवाने वाली गर्भवती महिला की याद में स्मारक बना दिया है।

 

ग्रामीण अभी भी कर रहे प्रदर्शन, 4 की मौत, इसलिए स्मारक पर 4 पत्थर

सिलेगर में चौथी मौत गर्भवती महिला पूनेम सोमली की हुई है। पुलिस फायरिंग की वजह से मची भगदड़ में वह घायल हो गई थी। इससे ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ गया है। 22 गांवों के हजारों लोग कैंप के सामने डटे हुए हैं और उसे बंद करने की मांग कर रहे हैं। महिला की मौत के बाद यहां कुछ ही घंटों में स्मारक बना दिया गया। इस स्मारक के ऊपर 4 पत्थर रखे गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ये पत्थर मारे गए 4 लोगों की याद में रखे गए हैं।

 

 

 

अफसरों का कहना था- जवानों ने गांववालों को रोका तो विवाद हो गया

सुकमा-बीजापुर बार्डर पर सिलेगर में 17 मई को कैंप के विरोध में एकत्र हुए ग्रामीण तार की फेसिंग तोड़कर कैंप इलाके में घुसने लगे। जवानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस दौरान दोनों पक्षों में विवाद हो गया। तभी गोलियां चलने की आवाज आने लगी और भगदड़ मच गई। पुलिस अफसरों ने इसे नक्सली मुठभेड़ बताया है। वहीं ग्रामीणों का कहना था कि वहां नक्सली थे ही नहीं। फायरिंग सिर्फ पुलिस ने की है। मुठभेड़ में 6 पुलिसकर्मियों सहित 11 लोग घायल हुए थे। गांववालों का आरोप है कि फोर्स ने हमारे जल, जंगल, जमीन पर कब्जा किया है

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
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