रायपुर। स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में 4 नए जिले बनाने की घोषणा की थी। इस घोषणा के साथ ही नए विवाद भी शुरू हो गए हैं। कोरिया जिले के चिरमिरी में अलग जिला बनाए जाने को लेकर भूख हड़ताल शुरू हो गई है। अंबागढ़-चौकी के लोग चाहते हैं कि जिले का मुख्यालय उनके यहां बने। बिलाईगढ़, सतनामी समाज का गढ़ है( उनका कहना है कि उन्हें सारंगढ़ जिले में शामिल नहीं होना है। भाटापारा में भी अलग जिले के लिए आंदोलन की तैयारी है।
मोहला-मानपुर को जिला बनाने की घोषणा के कुछ ही देर बाद अम्बागढ़ चौकी में विरोध शुरू हो गया था। बाद में जिले का नाम मोहला-मानपुर-चौकी किया गया।
ऐसे बनाए जाएंगे जिले और ये हैं विवाद
छत्तीसगढ़ में जिन 4 नए जिलों की घोषणा की गई है, उनमें से मोहला-मानपुर-चौकी को राजनांदगांव जिले से अलग कर बनाया जाएगा। इसके मुख्यालय की घोषणा नहीं की गई है लेकिन पूरा अनुमान है कि मोहला-मानपुर में इसका मुख्यालय बनाया जाएगा। इसी बात का अंबागढ़ चौकी वाले विरोध कर रहे हैं। चौकी को वैसे ही विधायक के आंदोलन के बाद इस जिले में शामिल किया गया है। चौकी के कोरिया जिले के पुनर्गठन की घोषणा के बाद वहां के चिरमिरी को जिला बनाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हो गया है। इधर कोरिया के जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के व्यापारी बंटवारे के बाद अपने अस्तित्व को लेकर परेशान हैं।निवासियों की मांग को सरकार कितना मानती है यह देखने वाली बात है। सक्ती को जांजगीर-चांपा जिले से अलग किया जाएगा। सक्ती का जिला मुख्यालय सक्ती होगा।
रायगढ़ जिले के सारंगढ़ और बलौदा बाजार-भाटापारा जिले से बिलाईगढ़ तहसील को मिलाकर एक नया जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ बनाया जाना है। संभावना है कि इसमें महासमुंद जिले के सरायपाली को भी शामिल कर लिया जाएगा। इसका मुख्यालय सारंगढ़ तय है। यहां विवाद है कि बिलाईगढ़ सतनामीबहुल इलाका है। गिरौधपुरीधाम उनके लिए बेहद आस्था का स्थान है। यहां के लोगों का कहना है कि वे सारंगढ़ में नहीं शामिल होना चाहते।
बिलाईगढ़ अलग जिला बने और उसका मुख्यालय गिरौदपुरी बनाया जाए। उधर, बलौदाबाजार जिले के भाटापारा में भी अलग जिला बनने की मांग तेज होने लगी है। कोरिया जिले से मनेंद्रगढ़ को अलग करके नया जिला बनाया जाना है। मनेंद्रगढ़ ही जिले का मुख्यालय होगा।
सामान्य प्रशासन और राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है, जल्दी ही कलेक्टरों के माध्यम से नए जिलों के पुनर्गठन का प्रस्ताव मंगाया जाएगा। राज्य कैबिनेट इसे मंजूरी देती है तो राजपत्र में प्रकाशन के बाद प्रशासन और पुलिस के लिए विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारियों की नियुक्ति होगी। प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से मुख्यालय तय किया जाएगा। यह निर्णय सरकार को करना है।
नए जिलों के पीछे सरकार का तर्क
सरकार की ओर से कहा गया, सारंगढ़ की दूरी रायगढ़ से लगभग 55 किलोमीटर और बिलाईगढ़, सरसींवा अंचल की दूरी बलौदा बाजार से तकरीबन 75-80 किलोमीटर है। बिलाईगढ़ और सरसींवा अंचल के आखिरी छोर के गांव की जिला मुख्यालय से दूरी 100-125 किलोमीटर है। यहां से सीधा रास्ता भी नहीं है। इनके लिए सारंगढ़ की दूरी 50 किमी से कम हो जाएगी। इसी तरह मोहला-मानपुर की दूरी जिला मुख्यालय राजनांदगांव से 100 किलोमीटर है। मानपुर का औंधी अंचल राजनांदगांव से 125 किलोमीटर दूर है। कमोबेश इसी तरह की सुविधाएं सक्ती और मनेन्द्रगढ़ के लोगों को मिलेंगी।
कांग्रेस अध्यक्ष बोले, बड़ा काम है सबकी सुनी जाएगी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने बातचीत में कहा- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नए जिलों की घोषणा कर बहुप्रतीक्षित मांग पूरी की है। यह सरकार का काम है, लोगों की बेहतरी के लिए नए जिले बनाए गए हैं। कई जगह अपने क्षेत्रों को शामिल करने की बात आ रही है। नया जिला बनाना बड़ा काम है। इसके पुनर्गठन और जिला मुख्यालय तय करना प्रशासनिक काम है। इसमें सभी की सुनी जाएगी। मोहन मरकाम ने कहा, नए जिलों के बन जाने से प्रशासन तक लोगों की पहुंच आसान होगी।
जिलों के पुनर्गठन के राजनीतिक मायने भी
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सक्ती: जांजगीर-चांपा से अलग होकर बनने के लिए प्रस्तावित सक्ती अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग बहुल इलाका है। इसमें विधानसभा की तीन सीटें हैं। इनमें से दो पर कांग्रेस और एक पर बसपा काबिज है। तीनों सामान्य सीटें हैं। यही छत्तीसगढ़ में बसपा का आधार क्षेत्र भी है। कांग्रेस नए जिले के बहाने बसपा को शून्य और भाजपा को कमजोर करने की कोशिश में है।
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मनेंद्रगढ़: कोरिया जिले से अलग होकर बन रहे मनेंद्रगढ़ में दो विधानसभा सीटें हैं। मनेंद्रगढ़ और भरतपुर-सोनहत पर कांग्रेस काबिज है। यह विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत का प्रभाव क्षेत्र है। उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत के लोकसभा क्षेत्र में आता है। एसटी और ओबीसी के बहुमत वाले इलाके में देश के दूसरे हिस्सों से आए लोग भी बड़ी संख्या में हैं। मुद्दा पूरी तरह भावनात्मक है, जिसे कैश कर कांग्रेस खुद को अधिक मजबूत करने की कोशिश में है।
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सारंगढ़–बिलाईगढ़: रायगढ़ और बलौदा बाजार-भाटापारा जिलों से अलग कर बनाया जाना है। इसमें सारंगढ़ और बिलाईगढ़ नाम से विधानसभा सीटें हैं। दोनों पर कांग्रेस के विधायक हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति की बहुलता वाला जिला बनेगा। कांग्रेस इसे एससी वर्गों के सशक्तिकरण से जोड़कर मजबूत होने की कोशिश में है। लेकिन बिलाईगढ़ क्षेत्र में नुकसान की आशंका भी बन रही है।
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मोहला-मानपुर-चौकी: राजनांदगांव जिले के दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों को मिलाकर बनेगा। दो विधानसभा सीटे खुज्जी और मोहला-मानपुर इसमें आएंगी। दोनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। अगले चुनाव में कांग्रेस इसे उपलब्धि के तौर पर जोड़ना चाहती है, ठीक वैसे ही जैसे गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही को जिला बनाने के बाद चुनाव में हुआ था। अम्बागढ़ चौकी मुख्यालय नहीं बना तो भाजपा चौकी क्षेत्र में इसे मुद्दा बनाकर कम से कम खुज्जी विधानसभा क्षेत्र में नुकसान कर सकती है।
चिरमिरी को जिला बनाने की मांग ने पकड़ी रफ्तार
सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में पांच नए जिलों के बन जाने से खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे दूसरे क्षेत्रों में भी मांग ने रफ्तार पकड़ ली है। कोरिया के चिरमिरी में इसके लिए एक संघर्ष समिति का गठन हुआ है। आज से समिति ने चिरमिरी को जिला बनाने की मांग को लेकर क्रमिक भूख हड़ताल भी शुरू किया है। मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने जनवरी 2019 में मनेंद्रगढ़, चिरमिरी और मरवाही को मिलाकर नया जिला बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसमें से मरवाही अलग और मनेंद्रगढ़ अलग जिला बन गया
कसडोल क्षेत्र में स्थित गिरौदपुरी सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास की जन्मभूमि और सतनामी समाज की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है।
बलौदा बाजार में सतनामी भावनाएं उबाल पर
बलौदा बाजार जिले के बिलाईगढ़-कसडोल इलाके में सतनामी समाज की भावनाएं उबाल मारने लगी हैं। राज्य अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य हेमचंद जांगड़े का कहना है, बिलाईगढ़ और कसडोल को मिलाकर गिरौदपुरी धाम जिला बनाने की मांग पुरानी है। सारंगढ़ को जिला बनाकर सरकार ने इन भावनाओं की उपेक्षा की है। जांगड़े ने कहा, गिरौदपुरी धाम के जिला बनने से उसका विकास होता वहीं क्षेत्र में सभी लोगों के लिए यह केंद्र में हो जाता। नया जिला सुविधा की दृष्टि से भी रायपुर से दूर कर दिया गया है। क्षेत्र में जल्दी ही विरोध शुरू होगा।
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