छत्तीसगढ़: जवान को जगरगुंडा एरिया कमेटी को सौंपा, हर रात बदली जा रही जवान की लोकेशन

जगदलपुर। टेकलगुड़ा मुठभेड़ के बाद नक्सलियों द्वारा अगवा किए गए सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह की रिहाई पांचवें दिन भी नहीं हो पाई है। जवान अभी नक्सलियों के कब्जे में है लेकिन वह सकुशल है। नक्सलियों ने उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है और उसे नक्सलियों ने अपने साथ खुले में रखा है।

 

खुले में रखने से आशय यह है कि जवान के हाथ-पैर नहीं बांधे गए हैं और न भागने की चेतावनी देकर अपने साथ रखा गया है। जवान के अपहरण के बाद खबरें आई थी कि उसे नक्सलियों ने अपने जगरगुंडा एरिया कमेटी को सौंप दिया है लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि नक्सली रोजाना रात में जवान की लोकेशन बदल रहे हैं। बुधवार शाम तक की जानकारी के अनुसार जवान को सुकमा-दंतेवाड़ा और बीजापुर के सरहदी इलाकों में घुमाया जा रहा है। रात में जवान की आंखों में पट्टी बांधकर पैदल चलाया जा रहा है और दिन में आराम करवाया जा रहा है।

 

 

 

जंगल के सूत्रों का कहना है कि नक्सली जवान को तेलंगाना और आंध्र ले जाने से बच रहे हैं। नक्सलियों को डर है कि ग्रे-हाउंड कभी भी उन पर हमला कर सकती है। ऐसे में नक्सली उसे तीन जिलों के सरहदी जंगलों और बीहड़ वाले गांव में घूम रहे हैं। इसके अलावा एक खबर यह भी है कि मुठभेड़ स्थल के 80 किमी दायरे में ही जवान को यहां से वहां ले जाया जा रहा है। मुठभेड़ वाला इलाका बीजापुर-सुकमा बॉर्डर है।

 

अब तक बिना ऑपरेशन के ही होती रही है रिहाई

इधर बस्तर में नक्सलियों की ओर से जितने भी बड़े अपहरण की घटनाएं की गई हैं उनमें बिना ऑपरेशन के ही बंदियों की रिहाई हुई है। कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन से लेकर विदेशी नागरिक जॉन तक को नक्सलियों ने खुद ही रिहा कर दिया है। इनकी रिहाई किसी सैन्य ऑपरेशन के जरिए नहीं हुई है बल्कि आम लोगों, परिजन, मीडियाकर्मियों की अपील और प्रयासों से हुई है।

 

रिहाई का सबसे सुरक्षित रास्ता मध्यस्थता ही

वर्तमान परिस्थितियों में जवान की रिहाई का सबसे सुरक्षित रास्ता नक्सलियों की शर्त मनाते हुए मध्यस्थता वाली टीम बनाकर ही है। नक्सली पहले ही कह चुके हैं कि सरकार मध्यस्थता करने वालों के नाम तय कर दे तो जवान को मध्यस्थों के हवाले कर दिया जाएगा लेकिन अभी तक सरकार की ओर से किसी भी मध्यस्थ का नाम तय नहीं किया गया है।

 

सोनी सोरी भी टेकलगुड़ा पहुंचीं, नक्सलियों से अपील- जवान को रिहा करें

इधर जवान की रिहाई के लिए जेल बंदी रिहाई मंच के लोगों ने भी नक्सलियों से गुहार लगाकर जवान को रिहा करने की अपील की है। दंतेवाड़ा जिले से बुधवार को सोनी सोरी जेल बंदी रिहाई मंच की जया कश्यप, सुजीत कर्मा, लिंगा कुडोपी, संजय पंत सहित अन्य लोग जवान की रिहाई के लिए मुहिम की शुरुआत कर चुके हैं और ये सभी बुधवार को ही मुठभेड़ वाली जगह टेकलगुडा गांव पहुंच गए हैं। यहां पहुंचने के बाद सोनी सोरी ने स्थानीय ग्रामीणों से मुलाकात की। सोनी साेरी को ग्रामीणों ने बताया कि नक्सलियों ने जवानों को फंसाने से पहले पूरे गांव को खाली करवा दिया था। गांव के बारसा कुम्मा ने बताया 3 घंटे से अधिक समय तक गोली चली थी गांव में कोई भी नहीं था सभी पूवर्ती सहित आसपास के गांव चले गए थे। सोनी सोरी ने कहा कि को जवान की रिहाई को लेकर गंभीरता दिखानी चाहिए।

 

ऑपरेशन की भनक लगते ही जान का खतरा

इधर सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह की रिहाई के लिए फोर्स के पास कोई बड़ा विकल्प नहीं है। यदि जवान की रिहाई के लिए फोर्स ऑपरेशन भी लांच करती है और इसकी भनक नक्सलियों को लग जाती है तो नक्सली जवान की जान को खतरा भी हो सकता है। जिस इलाके में नक्सलियों ने जवान को रखा है वहां कई ऐसी चुनौतियां हैं जिनसे ऐसी परिस्थितियों में निपटना अभी संभव नहीं है।

 

 

 

जवान की सुरक्षित रिहाई के सामने ये चुनौतियां, इनसे रहना होगा सजग

 

जवान की वास्तविक लोकेशन किसी को पता नहीं, अंदाज में यदि ऑपरेशन लांच किया गया तो नक्सलियों के एंबुश में फंसने का डर।

जिस स्थान पर जवान को रखा गया है वह नक्सलियों का गढ़ है फोर्स के 10 किमी के दायरे में आते ही नक्सलियों को इसकी खबर लग जाएगी और जवान की जान को खतरा हो सकता है।

जवान को जिस स्थान पर रखा गया है वहां की भौगोलिक स्थिति की जानकारी किसी को नहीं है यदि जवान को पहाड़ के ऊपर रखा गया होगा तो वहां ऑपरेशन लांच करना मतलब और जवानों की शहादत देना और जंगल में रखा गया होगा तो वहां भी नक्सलियों से बड़े युद्ध का खतरा