छत्तीसगढ़ की नैना सिंह धाकड़ ने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर लहराया तिरंगा; बीमार होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का दिया संदेश

छत्तीसगढ़ के बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ ने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी (8848.86 मीटर) एवरेस्ट और चौथी सबसे ऊंची चोटी लोत्से (8516 मीटर) फतह कर ली है। यह उपलब्धि हासिल करने वाली नैना प्रदेश की पहली महिला बन गई हैं। खास बात यह है कि अत्यधिक थकान के चलते बीमार होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। फिलहाल उनकी हालत ठीक है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई दी है।

नैना ने 1 जून को यह उपलब्धि हासिल की और एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया।

एवरेस्ट से दिया बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश

 

जगदलपुर मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर एक्टागुड़ा गांव की रहने वाली नैना सिंह करीब 10 साल से पर्वतारोहण में सक्रिय हैं। उन्होंने 1 जून को यह उपलब्धि हासिल की और एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा दिया। इस दौरान उन्होंने सबसे ऊंची पर्वत चोटी से दुनिया को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश भी दिया। हालांकि उन्हें मंगलवार सुबह ही अपना अभियान पूरा कर लेना था, लेकिन तबीयत खराब होने के चलते इसमें थोड़ी देर हुई।

जगदलपुर मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर एक्टागुड़ा गांव की रहने वाली नैना सिंह करीब 10 साल से पर्वतारोहण में सक्रिय हैं।

 

तबीयत बिगड़ी तो पर्वत पर फंसी, रेस्क्यू कर लाया गया नीचेनैना को अपना अभियान पूरा कर लौट आना था, लेकिन अत्यधिक थकान के चलते वह बीमार हो गईं। इसकी जानकारी मिलने के बाद नेपाल के एक्सपर्ट शेरपा की मदद ली गई। वह पर्वत पर ऊपर चढ़े और शाम करीब 6 बजे नैना को रेस्क्यू कर कैंप-4 तक लेकर आए। फिलहाल नैना की हालत खतरे से बाहर है। नैना की इस उपलब्धि पर हर कोई खुश है। सरकार के साथ उनके दोस्तों और चाहने वालों ने भी बधाई दी है।

 

शाम करीब 6 बजे नैना को रेस्क्यू कर कैंप-4 तक लेकर आए। फिलहाल नैना की हालत खतरे से बाहर है

शाम करीब 6 बजे नैना को रेस्क्यू कर कैंप-4 तक लेकर आए। फिलहाल नैना की हालत खतरे से बाहर है

 

खुद हारीं, लेकिन खेल भावना से जीत गई बेटि

 

नैना की इस जीत में भी बड़ा हाथ प्रदेश की एक अन्य बेटी का भी है। जो खुद तो इस ऊंचाई की लड़ाई में पिछड़ गई, लेकिन उनकी खेल भावना ने बेटियों को जीत दिला दी। प्रदेश की एक और पर्वतारोही याशी जैन भी एवरेस्ट फतह करने के लिए चढ़ी थीं, लेकिन चोटी तक पहुंचते हुए मौसम खराब होने के चलते उन्हें काठमांडू लौटना पड़ा। वहां से रायपुर आने वाली थीं कि दोपहर तक नैना की कोई खबर नहीं मिलने पर परेशान हो गईं

 

नैना की इस जीत में भी बड़ा हाथ प्रदेश की एक अन्य बेटी याशी का भी है। जो खुद तो इस ऊंचाई की लड़ाई में पिछड़ गई, लेकिन उनकी खेल भावना ने बेटियों को जीत दिला

नैना की इस जीत में भी बड़ा हाथ प्रदेश की एक अन्य बेटी याशी का भी है। जो खुद तो इस ऊंचाई की लड़ाई में पिछड़ गई, लेकिन उनकी खेल भावना ने बेटियों को जीत दिला दी

 

नैना की तबीयत खराब होने का पता चला तो रेस्क्यू कराया।दी।।यां।।

करीब दोपहर 2 बजे याशी को पता चला कि नैना ज्यादा थकान के कारण बीमार हो गई हैं। ऐसे मे याशी ने परिजनों और प्रशासन से संपर्क साधकर नैना को सकुशल नीचे लाने का प्रयास शुरू किया। जगदलपुर कलेक्टर रजत बंसल ने नेपाल स्थित इंडियन ऐंबैसी से बात की और नैना के लिए रेस्क्यू आपरेशन शुरू हो गया। इसके बाद नैना को सकुशल बचाया जा सका। अब नैना नीचे आने की तैयारी कर रही हैं।

 

CM बघेल ने कहा- छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात

 

नैना सिंह धाकड़ की इस उपलब्धि की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सराहना की है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की गौरव, बस्तर की बेटी पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ द्वारा विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने पर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं। उन्होंने नैना के उज्जवल भविष्य की कामना की। साथ ही कहा कि नैना ने अपने दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति तथा अदम्य साहस से यह कर दिखाया है।