चाणक्य नीति: शिष्य, राजा और मित्र यदि ऐसे हो, तो न होना ही बेहतर

आचार्य चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान और एक योग्य शिक्षक थे। इन्हें चाणक्य नाम अपने गुरु चणक से प्राप्त हुआ था। इन्होंने अपने जीवन में अच्छी और बुरी दोनों तरह की परिस्थितियों का सामना किया परंतु कभी भी अपना धैर्य नहीं खोया और अपनी बुद्धिमत्ता से नंद वंश का नाश कर चंद्रगुप्त को मौर्य साम्राज्य का राजा बनाया। ये तीक्ष्ण बुद्धि के धनी थे। इन्हें विष्णु गुप्त और कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता था। आचार्य चाणक्य को कूटनीति, राजनीति और अर्थशास्त्र में महारत हासिल थी। इनके द्वारा लिखित नीति शास्त्र की बातें मनुष्य के जीवन को बहुत ही करीब से स्पर्श करती हैं। यही कारण है कि आज भी चाणक्य नीति की बातें लोगों में बहुत लोकप्रिय हैं। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कुछ ऐसी परिस्थितियों के बारे में वर्णन किया है जिनमें राजा, मित्र और शिष्य न होना ही बेहतर होता है। जानते हैं कि कौन सी हैं वे परिस्थितियां।

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आचार्य चाणक्य – फोटो : Social media
हर व्यक्ति के जीवन में बहुत से मित्र होते हैं। यदि देखा जाए तो व्यक्ति के जीवन में एक अच्छा मित्र बहुत आवश्यक होता है क्योंकि मित्र से व्यक्ति रह विषय पर खुलकर बात कर सकता है लेकिन आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक पापी का मित्र होने से बेहतर है कि मनुष्य बिना मित्र का हो। पापी मित्र स्वयं के साथ आपको भी परेशानियों में डाल देता है, इसलिए भले ही जीवन में कम मित्र बनाने चाहिए लेकिन अच्छे चरित्र के बनाने चाहिए।
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आचार्य चाणक्य – फोटो : Social media
यदि किसी को राजा बनने का अवसर मिले तो हर व्यक्ति चाहता है कि वह राजा बने। किसी राज्य का राजा होना स्वयं में गर्व की बात है लेकिन नीति शास्त्र में बताया गई परिस्थिति के अनुसार राजा न होना ही सही रहता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक बेकार राज्य का राजा होने से यह बेहतर है कि व्यक्ति किसी राज्य का राजा न हो।
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आचार्य चाणक्य – फोटो : Social media
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक मूर्ख का गुरु होने से बेहतर है कि वह बिना शिष्य वाला हो। कहने का तात्पर्य यह है कि मूर्ख व्यक्ति को यदि ज्ञान दिया जाए तो वह अपने कुतर्को के आगे उसे समझना ही नहीं चाहता है इसलिए ऐसे मुर्ख व्यक्ति को ज्ञान देना केवल बहुमूल्य समय को नष्ट करना होता है।

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आचार्य चाणक्य – फोटो : Social media
जहां एक धर्म परायण स्त्री अपने पति और परिवार का मान सम्मान बढ़ाती है और उसके जीवन को सुखी बनाती है तो वहीं एक बुरी पत्नी के कारण व्यक्ति के जीवन के सभी सुखों और मान सम्मान का नाश हो जाता है इसलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक बुरी पत्नी होने से बेहतर है कि व्यक्ति बिना पत्नी वाला हो।