चाणक्य नीति: आचार्य चाणक्‍य ने बताईं ये 5 बातें, इनमें छिपा है सफलता का राज

चाणक्य नीति (Chanakya Niti): आचार्य चाणक्‍य (Acharya Chanakya) के अनुसार हमें दूसरों से जो मदद प्राप्त हुई है, हमें उसे लौटाना चाहिए. इसी तरह किसी ने हमसे अगर दुष्टता की है, तो हमें भी उससे दुष्टता करनी चाहिए.

चाणक्य नीति (Chanakya Niti): आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने चाणक्य नीति में जीवन से जुड़े अहम विषयों पर प्रकाश डाला है और इनके माध्‍यम से जीवन की कुछ समस्‍याओं के समाधन की ओर भी ध्‍यान दिलाया है. चाणक्‍य नीति कहती है कि इस दुनिया में वह खजाना है ही नहीं, जो आपको आपके सदगुरु के कर्जे से मुक्त कर सके. यानी आपके गुरु ने आपको जो ज्ञान सिखाया वह बहुमूल्‍य है. चाणक्‍य नीति में कहा गया है कि लोभ से बड़ा दुर्गुण क्या हो सकता है. निंदा से बड़ा पाप क्या है? जो सत्य में प्रस्थापित है उसे तप करने की क्या जरूरत है. जिसका ह्रदय शुद्ध है, उसे तीर्थ यात्रा की क्या जरूरत है. अगर स्वभाव अच्छा है, तो और किस गुण की जरूरत है. आप भी जानिए चाणक्‍य नीति की ये महत्‍वपूर्ण बातें-

गुणों की आभा रत्न जैसी चमकती हैचाणक्‍य नीति कहती है कि अगर एक विनम्र और सर्वगुण संपन्‍न व्यक्ति अपने अच्छे गुणों का परिचय देता है, तो उसके गुणों की आभा रत्न जैसी चमकती है. एक ऐसा रत्न, जो प्रज्वलित है और सोने के आभूषणों में लगाने पर और ज्‍यादा चमकता है.

 

जो म‍िले उसे लौटाना चाहिएआचार्य चाणक्‍य के अनुसार हमें दूसरों से जो मदद प्राप्त हुई है, हमें उसे लौटाना चाहिए. इसी तरह किसी ने हमसे अगर दुष्टता की है, तो हमें भी उससे दुष्टता करनी चाहिए और ऐसा करने में कोई पाप नहीं है.

गया है कि लोभ से बड़ा दुर्गुण क्या हो सकता है. पर निंदा से बड़ा पाप क्या है. जो सत्य में प्रस्थापित है उसे तप करने की क्या जरूरत है. जिसका ह्रदय शुद्ध है, उसे तीर्थ यात्रा की क्या जरूरत है. अगर स्वभाव अच्छा है, तो और किस गुण की जरूरत है. अगर कीर्ति है, तो अलंकार की क्या जरूरत है. अगर व्यवहार ज्ञान है, तो दौलत की क्या जरुरत है और अगर अपमान हुआ है, तो यह मृत्यु से भयंकर है.

वह संकट को हरा सकता हैचाणक्‍य नीति कहती है कि जिस व्‍यक्ति में सभी जीवो के प्रति परोपकार की भावना है, वह सभी संकटों को हरा सकता है और उसे हर कदम पर सभी प्रकार की सम्पन्नता प्राप्त होती है. वह सदा प्रसन्‍न रहता है.

 

ऐसे व्‍यक्ति को यहीं म‍िलता है सुखआचार्य चाणक्‍य के अनुसार वह इंद्र के राज्य में जाकर क्या सुख भोगेगा, जिसकी पत्नी प्रेमभाव रखने वाली और सदाचारी है. जिसके पास संपत्ति है. जिसका पुत्र सदाचारी और अच्छे गुण वाला है और जिसको अपने पुत्र द्वारा पौत्र प्राप्‍त हुए है.