19 नवंबर 2021 यानी कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया, जिसे लेकर लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. पीएम के इस ऐलान के बाद माना जा रहा था कि किसान आंदोलन अब खत्म हो जाएगा. हालांकि, फिर किसानों की ओर से पहले इसे संसद में पास करवाने के लिए कहा था. अब सोमवार को संसद के दोनों सदन में बिल को वापस लेने पर सहमति बन गई है.
इसके बाद लोगों के मन में सवाल है कि आखिर अब भी किसान आंदोलन खत्म क्यों नहीं कर रहे हैं. इसका जवाब ये है कि किसान संगठनों की अभी भी करीब 6 ऐसी मांगे हैं, जिन्हें पूरा नहीं किया गया है. किसानों का कहना है कि उन मांगों को पूरा होने के बाद ही किसान आंदोलन को खत्म किया जाएगा. वैसे किसान संगठन 1 दिसंबर को आंदोलन की आगे की रणनीति तैयार करेंगे. ऐसे में जानते हैं कि आखिर किसानों की वो कौन सी मांगे हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए किसान डटे हुए हैं.
MSP है प्रमुख मुद्दा
किसान मोर्चा ने हाल ही में सरकार को लिखे पत्र में भी एमएसपी कानून को अहम मांग बताया गया था. किसान मोर्चा का कहना हैं, खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाए, ताकि देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके. बता दें कि इस पर बनी एक समिति ने 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को यह सिफारिश दी थी और आपकी सरकार ने संसद में भी इसके बारे में घोषणा भी की थी.
मृतक प्रदर्शनकारियों के घरवालों को मुआवजा
किसान संगठनों की अगली मांग में आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना शामिल है. संगठन की मांग है कि आंदोलन में अब तक लगभग 700 किसान शहीद हो चुके हैं. उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो. शहीद किसानों की स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंघू बॉर्डर पर जमीन दी जाए.
प्रदर्शनकारियों के ऊपर दर्ज मुकदमों की वापसी
किसानों की ओर से की गई मांगों में प्रदर्शनकारियों के ऊपर दर्ज मुकदमों की वापसी का मुद्दा भी शामिल है. मांग है दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) हुए केसों को तत्काल वापस लिया जाए.
विद्युत बिल की वापसी
किसानों की बिजली बिल की वापसी की मांग भी अहम है. किसान संगठनों का कहना है विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021″ का ड्राफ्ट वापस लिया जाए. संगठनों का यह भी कहना है कि जब सरकार से पहले कई मुद्दों पर बात की गई थी तब सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादाखिलाफी करते हुए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था.
पराली जलाने पर दर्ज केस की वापसी
“राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021” में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए. इस संदर्भ में साथ ही उन्होंने कहा कि इस साल सरकार ने कुछ किसान विरोधी प्रावधान तो हटा दिए, लेकिन सेक्शन 15 के माध्यम से फिर किसान को सजा की गुंजाइश बना दी गई है. बता दें कि शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि केंद्र ने पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की उनकी मांग पर सहमति जताई है.
मंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी
अगली मांग है- लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी खुले घूम रहे हैं और आपके मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं. वह आपके और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साझा कर रहे हैं. उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए.
जन जन की आवाज़