कोरबा/कटघोरा:-कटघोरा वनमंडल पर मुसीबते कम होने का नाम नही ले रही है।यहाँ पदस्थ डीएफओ शमा फारूकी की कार्यशैली कटघोरा वनमंडल के लिए अभिसाप साबित हो रही है जो इस बार राष्ट्रीय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी वनमंडल को आड़े हाथ लेते हुए सात दिवस बाद उग्र धरना प्रदर्शन करने का अल्टीमेटम दे दिया है।गोंगपा के अनुसार डीएफओ शमा फारूकी के पदभार को एक सप्ताह के भीतर मुक्त कर इनके कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की अगर निष्पक्ष रूप से जांच नही की जाती है तो पार्टी धरना प्रदर्शन व जनांदोलन के लिए बाध्य होगी।एकाएक कई तरह के आरोपो का सामना कर रहा यह वन मण्डल आखिर कब तक यू ही सवालो का केंद्र बिंदु बना रहेगा?गोंगपा ने मुख्य वनसंरक्षक वृत बिलासपुर, वनमंडल कटघोरा,अनुविभागीय अधिकारी (रा) कटघोरा व थाना कटघोरा को ज्ञापन सौप आंदोलन व धरने के तैयारियो की शुरुआत कर दी है।
राष्ट्रीय गों.ग.पा. के प्रदेश महामंत्री शरद कुमार देवांगन ने मुख्य वनसंरक्षक वृत बिलासपुर को वनमंडलाधिकारी शमा फारूकी के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच हेतु ज्ञापन सौपा है।देवांगन जी ने बताया कि जिस तरह कटघोरा वनमंडल इन दिनों बांस कटाई,सेनेटाइजर, मास्क,गुणवत्ता विहीन निर्माणकार्यो का भुगतान,मजदूरी भुगतान,वन्यप्राणियों से जनहानि,अनुभवविहीन कार्यशैली, भालू हमला व अन्य कई तरह की चर्चाओं का केंद्र बिंदु बना हुआ है उससे तो यही प्रतीत हो रहा है कि यहाँ सरकार के पैसों का जमकर दुरुपयोग व भ्रष्टाचार हो रहा है तथा यहाँ पदस्थ अधिकारी अपनी नैतिक जिम्दारियों का निर्वहन सही तौर पर नही कर रहे हैं।ग्रामीण छेत्रों में वन्यप्राणियों से आमजन का जीवन अस्तव्यस्त हो गया है तथा हिंसक वन्यप्राणियों ग्रामीणों जीना दूभर हो गया है ग्रामीण जान बचाने कड़कड़ाती ठंड में रातभर रतजगा करने को मजबूर हैं लेकिन वन अमला ग्रामीणों को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम साबित हो रहा है।देवांगन जी ने आगे यह भी बताया कि जब से वनमंडलाधिकारी शमा फारूकी ने इस वनमंडल की बागडोर संभाली है तब से यह मण्डल अनेको तरह के आरोपो से घिरता नजर आ रहा है जबकि इससे पहले कभी यहाँ इस तरह की स्थिति देखने को नही मिली है।इन दिनों कटघोरा वनमंडल पर लग रहे आरोपो की चर्चा गलियारों में गोता खा रही है जिससे वमण्डल की छवि जमकर धूमिल हो रही है।
कई बार यह वनमंडल मीडिया व जनप्रतिनिधियों के निशाने पर आ चुका है लेकिन न तो वन विभाग के बड़े अधिकारियों के कानों में जु रेंगी और न ही सरकार के।आखिर क्या वजह है जो एक अधिकारी पर लगातार आरोप लग रहे फिर भी संज्ञान नही लिया जा रहा है? लिहाजा आरोपो के दहलीज में खड़ा यह वनमंडल इस बार गों.ग.पा. के निशाने पर आ गया है।गों.ग.पा. जनहितैषी कार्यो के लिए पुरजोर तरीके से आवाज बुलंद कर न्यायसंगत कार्यो के लिए जानी जाती है।कटघोरा वनमंडल जिस तरह आरोपो के आगोश में समाया हुआ है वहीं देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी शांत है यह समझ से परे है।
गोंगपा से प्रदेश महामंत्री शरद देवांगन ने ग्रामीणों की मालिहालत करीब से जानी है।ग्रामीणों ने बताया है इन दिनों गाँव मे हाथियों का जमकर आतंक है हम जान बचाने परिवार सहित रातभर रतजगा करते हैं लेकिन वन अमला केवल मुक़दशर्क बन दूर से हाथियों को देख लौट जाता है हम पूरी रात जान बचाने जद्दोजहद करते हैं।जहाँ विभाग ग्रामीणों को सुरक्षा उपकरण देने के ठोस दावे करता है उनकी असलियत ग्रामीण छेत्रों मे जाने से सामने आती है जहाँ न तो लोगो को टार्च मिली है और न ही अन्य उपकरण।
गोंगपा ने कई बार शक्ति प्रदर्शन व जनांदोलन कर भटके हुए को नेकी की राह दिखाई है।इस बार कटघोरा वनमंडल इनके निशाने पर है जहाँ लगातार आरोपो के बीच भी वनमंडलाधिकारी की साख पर आंच नही आई वो गोंगपा के उग्र आंदोलन का सामना करेगी या वन विभाग आंदोलन के पूर्व इन्हें हटाकर इनके कार्यकाल के दौरान अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच करेगा ये देखने वाली बात होगी।
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