*जन जन की आवाज छत्तीसगढ़ ललित महिलांगे कुसमुंडा/दीपका/ गेवरा की रिपोर्ट :
आज ऊर्जाधानी भुविस्थापित किसान संगठन ने कुसमुंडा गेवरा और दीपका मुख्य महाप्रबन्धको को सीएमडी को सम्बोधित आंदोलन की चेतावनी पत्र दिया है । जिसमे आगामी 2 मई को एसईसीएल के चारो क्षेत्र में कोयला उत्पादन ठप्प करने की चेतावनी दी गयी है ।
विगत 25 मार्च 2021 को ग्राम रलिया (हरदीबाजार) जिला कोरबा में भूविस्थापितो ,किसानों और कोयला खदान सहित अन्य संस्थानो से प्रभावितो की खुला सम्मेलन आयोजित की गई थी जिसमे अपने मांगो को लेकर चरण बद्ध आंदोलन का ऐलान किया गया था जिसके तहत मुख्यमंत्री को 21 सूत्रीय मांगपत्र भेजी जा चुकी है और आज 5 अप्रैल को सभी कोयला क्षेत्रिय मुख्यालयों में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया किन्तु कोरोना महामारी के संकट के लिए शासन की दिशा-निर्देश का पालन करते हुए मांगपत्र देकर 2 मई को जिले के चारो परियोजनाओं में कोयला उत्पादन ठप्प करने की चेतावनी दी गयी है ।
सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि देश और समाज के विकास के लिए आहुति देने वाले मूल निवासी जल,जंगल, जमीन,शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार की समस्या से जूझ रहे है किन्तु उनकी समस्या का निराकरण होने के बजाय और विकराल होते चले जा रही है | घने वनों से घिरे कोरबा जिले में काले हीरे की प्रचुरता के कारण सन 1960 के दशक से कोयला खदानों के अलावे बिजली सहित अन्य उद्योग भी स्थापित होते चले गए . कोरबा के आसपास बाक्साइड मिलने से एल्युमिनियम कारखाना भी खुला इसके साथ ही अनेक परियोजनाओ का विस्तार होते चला गया जिसके कारण आज कोरबा को ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है।
किन्तु आद्योगिक विकास साथ विस्थापन के शिकार हुए किसानो और उनके परिवार की दशा और दिशा नहीं बदल सका बल्कि उनकी जिंदगी बदतर होते चले गयी . विकास की आहुति में केवल कोरबा की जनता को अपनी बलि देने की मजबूरी बनी हुयी है . यही कारण है कि जिन गाँवो की जमीन को ,जंगलो को उद्योगों ने कारखानों ने निगल लिया है उन गाँवो में पानी ,बिजली सडक ,शिक्षा ,स्वास्थ रोजगार जैसी बुनयादी समस्याएँ दानव की तरह खड़ी है . आद्योगिकीकरण के 50 से ज्यादा साल गुजर जाने के बावजूद यहाँ के मूल निवासियों को बेरोजगारी, गरीबी के साथ जीवन बसर करने की मजबूरी बन गयी है . ऊपर से पर्यावरण प्रदुषण की संकट से जानलेवा बीमारियों ने जीवन के सालो को आधे से भी कम कर लिया है . सामाजिक , आर्थिक ,सांस्कृतिक रूप से आदिवासी बहुल कोरबा जिला कंगाल हो चुका है . आजादी के बीते इन 73 सालो में लोंगो का शोषण किया गया है |
भुविस्थापित नेताओ ने बताया है कि कोयला उद्योग से प्रभावित किसानों और ग्रामीणों की समस्याओं का निदान नही होने उग्र आंदोलन ही एकमात्र रास्ता रहा गया है इसलिए आंदोलन को तीव्र करने दिशा में आगे बढ़ने को मजबूर हो गए हैं । 2 मई की बन्द के साथ ही गांव-गांव में ग्राम चौपाल लगायी जाएगी और लोंगो की समस्याओं को सुना जाएगा और आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर बड़ा जनांदोलन छेड़ा जाएगा ।
सीएमडी को भेजे गए प्रमुख मांगो में परियोजना एवं एरिया स्तर पर पुनर्वास समिति का किया जाये । सभी खातेदार को रोजगार चार गुना मुआवजा और बेहतर पुनर्वास की व्यवस्था किया जाए । . प्रभावित परिवार के बेरोजगारों द्वारा बनाई गई सरकारी समितियों/फर्म/ कंपनी को ठेका कार्य (कोयला परिवहन, पानी छिड़काव, LMV हायरिंग, क्लीनिंग वर्क व अन्य) में 20%आरक्षण दो। स्थानीय बेरोजगारों को प्राथमिकता दिया जाए । लंबित रोजगार ,मुआवजा बसाहट के प्रकरणों का तत्काल निराकरण किया जाए । गांव का आशिंक जमीन अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए । भूविस्थापित किसान परिवार के बच्चों को नि:शुल्क प्राथमिक-उच्च शिक्षा दिया जाए । . जिला खनिज न्यास निधि का प्रभावित ग्रामों के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर खर्च किया जाए । पूर्व में अधिग्रहित जमीन वास्तविक खातेदारों को वापस करो, नया अधिग्रहण कानून का पालन किया जाए ।महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार सृजन ,कौशल उन्नयन की व्यवस्था करो और स्थानीय उद्योगों में नियोजित किया जाए । भुविस्थापित परिवारों के राजस्व मामला,फौती, नामन्तरण ,बटाकन, त्रुटीसुधार आदि समस्या का हर गाँव में शिविर आयोजित कर निवारण किया जाये |एशिया में सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन देने वाले कोरबा जिले में माइनिंग कालेज खोली जाए । भूविस्थापितो के लिए बसाहट स्थल को सर्वसुविधायुक्त कालोनी बनाया जाए । तथा सबंधित संस्थान में निःशुल्क इलाज का प्रबंध किया जाए ।
आज ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधि मण्डल में बृजेश श्रीवास ,कुलदीप सिंह राठौर , सन्तोष राठौर, दिलहरण, गजेंद्र सिंह ठाकुर ,ललित महिलांगे, श्यामू जायसवाल, सुभाष सिंह कंवर, राजू यादव , प्रताप सिंह कंवर, रुद्र दास महंत, जय कौशिक, संतोष दास, भुजबल बिझवार सहित अनेक लोग शामिल थे।
*भवदीय*
*सपुरन कुलदीप* *ऊर्जाधानी भूविस्थापित-किसान*
*कल्याण समिति*
*प्रेषक*
*ललित महिलांगे*
जन जन की आवाज़