सनातन धर्म में स्त्रियों का विशेष स्थान – शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद:*
बेमेतरा= ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु श्रीश्री शंकराचार्य जी स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ अपने प्रवास के छठवें दिवस दिन मंगल को बेमेतरा के कृष्णा विहार स्थित निवास पर प्रातः भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर की पूजा कर दीक्षार्थियों को दीक्षा पश्चात दर्शन। शंकराचार्य मीडिया के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया शंकराचार्य जी बेमेतरा के कृष्णा विहार कॉलोनी स्थित शंकराचार्य निवास से सपाद लक्षेश्वर धाम पहुँच निर्माणाधीन स्थल का निरीक्षण कर पुनः बेमेतरा निवास हेतु प्रस्थान किए। दोपहर 1 बजे कथा स्थल पहुँचे जहाँ सुरेंद्र कुमार छाबड़ा एवं परिवार द्वारा श्रीभागवत भगवान की आरती व पदुकापुजन कर छठवें दिवस का कथा प्रारम्भ कराया।
**शंकराचार्य ने व्यासपीठ से कहा सनातन धर्म में स्त्रियों को विशेष सम्मान दिया गया है। यही एकमात्र ऐसी संस्कृति है जहाॅ पर स्त्री को देवी एवं माता मानकर उनकी पूजा की जाती है। जिस प्रकार महत्वपूर्ण को बहुत संभालकर रखा जाता है वैसे ही यहाॅ स्त्रियों को भी संरक्षित रखने को कहा गया है।
उक्त बातें ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ‘1008’ ने छत्तीसगढ का बेमेतरा जिले में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के अवसर पर कही।
*उन्होंने कहा कि जब स्त्री कन्या रूप में रहती है तो पिता, विवाहित होने पर पति और वृद्ध होने पर बच्चों को उसकी देख-रेख करने कहा गया है। यहाॅ पर देख-रेख करने का अर्थ यह नहीं कि उससे उसकी स्वतन्त्रता छीनी जा रही है। यहाॅ पर *न स्त्री स्वातन्त्र्यमर्हति* का अर्थ है वृत्ति स्वातन्त्र्य। माने स्त्री को कभी भी अपनी आजीविका के लिए स्वयं कुछ न करना पडे, यह कहा गया है। यह कितना बडा सम्मान है। लेकिन इसके अर्थ को बदलकर प्रस्तुत किया जाता है। इसे सभी को ठीक से समझने की आवश्यकता है।
*आगे कहा कि श्रीमद्भागवत में भी स्त्रियों के माहात्म्य का निरूपण प्रमुखता से किया गया है। जब वंश वर्णन आरम्भ होता है तो सबसे पहले मनु-शतरूपा के पुत्रियों के वंश का वर्णन बताया गया है और पुत्रों का वंश बाद में। इससे भी हम सबको स्त्री का माहात्म्य समझना चाहिए कि जब ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम मैथुनी सृष्टि आरम्भ की तो दो पुत्र और तीन पुत्रियों को उत्पन्न किया। माने पुत्रियों की संख्या पुत्र से अधिक रखी गयी। यह भी कहा जाता है कि जब कन्या उत्पन्न होती है तभी माता की कोख को पवित्र माना जाता है।
*मुख्य यजमान सहित हजारों की रही मौजूदगी*
आज के आयोजन में मुख्यरूप से ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द, साध्वी पूर्णाम्बा, साध्वी शारदाम्बा, रविन्द्र चौबे कृषि मंत्री छत्तीसगढ़, गुरुदयाल बंजारे संसदीय सचिव, प्रदीप दुबे, डॉ सियाराम साहू पूर्व विधायक कवर्धा, मुख्य यजमान सुरेंद्र किरण छाबडा, आशीष छाबड़ा विधायक बेमेंतरा, विनु छाबड़ा, चंद्रप्रकाश उपाध्याय विशेष कार्याधिकारी ज्योतिर्मठ, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद, अशोक साहू शंकराचार्य मीडिया प्रभारी, बंशी पटेल कांग्रेस जिला अध्यक्ष , अनिल चौबे, बिरदी सेठ, देवेंद्र सेन जनपद अध्यक्ष दुर्ग, मनोज शर्मा पार्षद, चन्द्रशेखर शुक्ला, राम गिड़लानी अध्यक्ष छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी, योगेश तिवारी, प्रवीण शर्मा, ओम प्रकाश जोशी भाजपा जिलाध्यक्ष, राजेन्द्र शर्मा पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा, राजेश दिवान कृष्णा विहार सोसायटी अध्यक्ष, बंटी चाचा मंडल अध्यक्ष महेश्वरी युवा समाज, शकुंतला साहू नगर पालिका अध्यक्ष, ब्रह्मचारी केशवानन्द, ब्रह्मचारी हृदयानंद, ब्रह्मचारी परमात्मानंद, बटुक राम, निखिल, शैलेश, पंडित देवदत्त दुबे, बंटी तिवारी व हजारो के संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।
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