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ब्रह्मा बाबा की 55 वा स्मृति दिवस मनाया ब्रह्मा बाबा त्याग, तपस्या, विश्व सेवा की प्रतिमूर्ति थे-भगवान भाई

ब्रह्मा बाबा की 55 वा स्मृति दिवस मनाया
ब्रह्मा बाबा त्याग, तपस्या, विश्व सेवा की प्रतिमूर्ति थे-भगवान भाई

त्रिवेंद्रम (केरल) 19 जनवरी
ब्रह्मा बाबा त्याग, तपस्या व विश्व सेवा की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने सन 1936 में ईश्वरीय शक्ति से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थापना की। उस समय जब भारत में अनेक कुप्रथाएं जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, दहेज प्रथा आदि थीं उन्होंने नारी को आध्यात्मिक रूप से सशक्त करने का महान कार्य किया। उनकी यह दूरदर्शिता ही थी कि आज ब्रह्माकुमारी संस्थान महिलाओं द्वारा संचालित विश्व का सबसे बड़ा संस्थान है। उक्त उदगार माउंट आबू से ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय से पधारे हुए बी के भगवान भाई जी ने कहे | वे पल्लिचल में शिव चिंतन भवन में स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र पर पिता श्री ब्रह्मा बाबा का 55 वा स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बोल रहे थे |
उन्होंने कहा कि, संसार में परिवर्ततन समय-समय पर होते रहते हैं, महान विभूतियों ने जन्म लेकर ज्ञान-विज्ञान, कला और संस्कृति के उत्थान द्वारा समाज को नई दिशा दी परन्तु यहां हम उस महामूर्ति के चरित्र का वर्णन करने जा रहे हैं जिन्होंने ईश्वरीय प्रेरणा व आज्ञा से मानव संस्कारों के परिवर्तन द्वारा संसार परिवर्तन का एक महान कार्य किया। आपने कहा कि, परमपिता शिव परमात्मा जो जन्म मरण से न्यारे हैं। जिनका अपना कोई शरीर न होने के कारण जिन्हें निराकार भी कहा जाता है, वे कल्पांत के अति धर्म ग्लानि की बेला में एक वृद्ध मानवीय तन में परकाया प्रवेश करके अवतरित होते हैं और उस वृद्ध तन का कर्तव्य वाचक नाम प्रजापिता ब्रह्मा रखते हैं। परमात्मा ब्रह्माजी को संकल्प देते हैं कि, तुम्हें मेरी श्रीमत पर इस दुनिया को नर्क से स्वर्ग बनाना है, विश्व परिवर्तन के निमित्त बनना है। सन 1937 में परमपिता परमात्मा शिव ने ब्रह्माबाबा के साकार तन का आधार ले ज्ञान की अविरल धारा प्रवाहित की और उन्हें सतयुगी सृष्टि को रचने के निमित्त बनाया। सभी भाई बहनों ने ब्रह्मा बाबा को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण करने की प्रतिज्ञा ली।
इस अवसर पर बी के मिन्नी बहन जी स्थानीय ब्रह्माकुमारी कि प्रभारी जी ने कहा कि माउण्ट आबू राजस्थान, मधुबन की धरनी, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के मुख्यालय में जब भी कोई कदम रखते है तो दिल से स्वतः ही यह भाव निकलता है कि हम जैसे स्वर्ग में आ गए है। यहाँ का पवित्र व दिव्य वातावरण मन को आनंदित व शांति प्रदान करता हैं। संस्था का कार्यभार किसी अदृश्य शक्ति के द्वारा चल रहा है ऐसा लोग मानते है बहुत ही सुनियोजित ढंग से, निर्विघ्न रूप से सरल भाव से संस्था का संचालन होता है। उन्होंने बताया कि यह सब इस संस्था के संस्थापक आदि पिता ब्रह्मा बाबा के कर्मभूमि पर त्याग तपस्या व प्रभु समर्पण के जीवन का ही प्रतिफल है जिन्हें लोग दादा लेखराज के नाम से जानते थे उनका अलौकिक नाम प्रजापिता ब्रह्मा परमपिता परमात्मा शिव द्वारा दिया गया। इन्होंने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व मे अध्यात्मिकता का अलख जगाया।
बी के साइनी बहन जी जे कहा कि विश्व के कोने-कोने मे परमात्म ज्ञान का प्रकाश फैलाकर शांति स्थापन करने के आधार स्तंभ बने ब्रह्मा बाबा । 18 जनवरी 2024 को इनकी 55 वीं पुण्यतिथि को विश्व शांति दिवस के रूप में प्रजापिता ब्रह्माकमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा मनाया जाता है।
बी के बिना बहन जी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा के जीवन का मूल सिद्धांत मानवता की सेवा करना था। हमें भी लोगो के सहयोग व सेवा के लिए सर्मपण भाव से सदैव तत्पर रहना चाहिए। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
बी के गोपी भाई जी ने कहा कि उनका जीवन उच्च आदर्शो गुणो व विशेषताओं से परिपूर्ण था। उन्होने लोगो का विशेषता अनुसार गुणों को ईश्वरीय कार्य में लगाकर उनके जीवन को महान बनाया। दूसरो का आगे बढ़ाने की भावना सदा ही रहती थी उनके अव्यक्त होने पर भी संस्था दिन दुनी रात चौगुनी रूप से निरंतर विस्तार को पाती रही है।
सेवा केन्द्र में ब्रह्मा बाबा के समाधि स्थल पांडव भवन माउंट आबू स्थित शांति स्तम्भ जैसा हूबहू माडल बनाया गया। स्मृति दिवस के अवसर पर सभी बीके भाई बहनों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। कुछ भाई बहनों नें योग साधना के अनुभव साझा किए। जिसमें उन्होंने बताया कि उनका मन पूरी तरह से स्थिर व शांत था। कोई भी नकारात्मक व व्यर्थ विचार मन में नहीं आए। विश्व शांति के प्रकंपन फैलाकर उन्हें आत्म संतुष्टि मिली। योग के लिए अलग-अलग विषय के आधार पर मेडिटेशन कामेंट्री और परमात्मा की अनुभूति कराई गई।
इस अवसर पर आदि पिता ब्रह्मा बाबा का स्मृति दिवस पर शांति स्तंभ व बाबा की कुटियाँ तथा जीवन इतिहास की एक झलक भी सजाई गई। सभी भाई बहनों ने चारो धाम में जाकर विश्व में शांति फैलाकर अपनी स्नेह स्वरूप पुष्पांजलि अर्पित किया।
कार्यक्रम के अंत में ब्रह्मा भोजन भी रखा था | स्मृति दिवस पर सभी भाई बहनों ने मौन धारण करके उनके बताए हुए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
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