कोरबा। महिला बाल विकास विभाग का 6 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को 48 घंटे के भीतर काम में वापस लौटने संबंधी आदेश आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में बेअसर साबित हो रहा। जिला व ब्लाक मुख्यालयों में गुरुवार को भी पदाधिकारियों के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर हुंकार भरी।
यहां बताना होगा छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ ,सँयुक्त मंच के प्रांतीय निर्णय अनुसार प्रदेश के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं कलेक्टर दर पर वेतन, सुपरवाइजर पद पर शत प्रतिशत कार्यकर्ताओं को लेने, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रायमरी स्कूल के शिक्षक के रूप में दर्जा और वेतन देने, मिनी आंगनबाड़ी को पूर्ण आंगनबाड़ी करने, सेवा समाप्ति के बाद 5 लाख कार्यकर्ताओं को एक मुश्त राशि देने, काम करने के लिए मोबाइल देने, सहायिकाओं को कार्यकर्ता पद पर पदोन्नत करने सहित 6 सूत्रीय मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका 28 जनवरी से बेमियादी हड़ताल में हैं। जिसकी वजह से केंद्रों की सेवाएं प्रभावित हो रही हैं ।
जिसे देखते हुए शासन ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग ने 48 घण्टे के भीतर काम पर लौटने का फरमान किया था। जारी आदेश में हड़ताल बंद न करने पर नौकरी से निकालने और सैलरी रोकने की बात कही गई है। साथ ही मानदेय का भुगतान लंबित रखा जाएगा।गुरुवार को यह मियाद पूरी हो गई है। बावजूद इसके आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में शासन के उक्त आदेश बेअसर साबित नजर आ रहा। गुरुवार को जिला मुख्यालय में ओपन ऑडिटोरियम घण्टाघर में आयोजित धरना प्रदर्शन में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने संघ के पदाधिकारियों के नेतृत्व में हुंकार भरी। ईंट से ईंट बजा देंगे विधानसभा हिला देंगे,रोजी रोटी दे सकी वो सरकार निकम्मी है ,जो सरकार निकम्मी है वो सरकार बदलनी है सरीखे नारे लगाए। जिसमें 300 से। अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका शामिल हुए। जिला के पदाधिकारियों ने दो टूक शब्दों में कहा कि संघ के आह्वान पर हड़ताल शुरू हुआ है ,संघ के निर्देशानुसार ही हम आगे बढ़ रहे। नोटिस से डरने वाले नहीं है। हालांकि हड़ताली आँगनबॉडी कार्यकर्ता सहायिकाओं को लेकर जिला कार्यालय भी सख्त हो गया। डीपीओ के निर्देश पर सभी परियोजना अधिकारियों ने हड़ताल में शामिल कार्यकर्ता सहायिकाओं को नोटिस जारी कर दिया है। सूत्रों के अनुसार शासन के अल्टीमेटम के बाद 50 फीसदी वर्करों के काम पर लौटने का दावा किया जा रहा है। लेकिन इसकी वास्तविकता शुक्रवार तक पता चल जाएगा।
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