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बालको को नहीं मिल रहा कोयला तो बना रहा एसईसीएल पर दबाव- धरम

कोरबा। बालको पॉवर प्लांट के लिए आबंटित चोटिया कोल माइंस लगभग एक साल से खनन बंद है। जबकि, दूसरी तरफ बालको एसईसीएल पर कोयला देने का दबाव बना रही है। इसे लेकर शहर में राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। जिला कांग्रेस कमेटी के ग्रामीण के उपाध्यक्ष धरम निर्मले ने बयान जारी कर कहा है कि कोयला की कमी से जूझ रहे बालको पॉवर प्लांट आखिर खनन बंद कर क्या साबित करना चाहती है।

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जिला कांग्रेस कमेटी (ग्रामीण)उपाध्यक्ष धरम निर्मले ने

बताया कि एल्युमिनियम कंपनी बालको को चोटिया कोल ब्लॉक आबंटित हुआ है। इस ब्लॉक को लेने बालको ने अंतिम बोली 1585 रु प्रति टन लगाई थी। लेकिन, आश्चर्य जनक बात यह है कि बाल्को इस कोल ब्लॉक से अपने उपयोग के लिए कोयला का उत्खनन नहीं कर रहा है। जो मजदूर खदान में कार्य करते थे उनके समक्ष रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई हैं। दूसरी तरफ बाल्को द्वारा एसईसीएल के ऊपर कोयले की आपूर्ति के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

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निर्मले ने सवाल उठाया कि आखिर क्या कारण है कि बालको अपने चोटिया कोल ब्लॉक से कोयले का उत्खनन नहीं कर रहा है? क्या बालको क्षेत्र के लोगों को रोजगार से वंचित की मंशा से ऐसा करना चाहता है? बाल्को द्वारा शीध्र चोटिया कोल ब्लॉक में कोयला उत्खनन का कार्य चालू नहीं किया गया तो आंदोलन ग्रामीणों के साथ किया जाएगा।

 

लगभग 40 अरब की राजस्व की हानि

 

जानकारी के अनुसार कोरोना काल में MDO (माइंस डेवेलपमेंट ऑफिसर) की नियुक्ति नहीं हो पाई है इसलिए खदान बंद किया गया है। चोटिया खदान की उत्पादन क्षमता लगभ 10 लाख टन वार्षिक है। जबकि खुद की खदान होने के बावजूद SECL से बालको द्वारा अपने पॉवर प्लांट के लिए कोयला लिया जा रहा है। उत्पादन बंद होने के कारण लगभग 250 करोड़ रुपए के राजस्व की हानि शासन को हो रही है।

 

बता दें कि खदान से 19 अप्रैल, 2036 तक कोयला उत्पादन किया जाना है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्ष 2036 तक लगभग 40 अरब रुपए के राजस्व की हानि शासन को होगी।

 

 

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