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जेल में गणपति के आध्यत्मिक रहस्य पर कार्यक्रम गणपति के अंग अंग से जीवन की विघ्नों समाप्त करने की प्रेरणा मिलाती है -भगवान भाई

जेल में गणपति के आध्यत्मिक रहस्य पर कार्यक्रम
गणपति के अंग अंग से जीवन की विघ्नों समाप्त करने की प्रेरणा मिलाती है -भगवान भाई,,

छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश )
श्री गणेश का जन्म और उनके गुण, जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने का रास्ता दिखाते हैं | सिर हमारे अहंकार को दर्शाता है | बुद्धि हमें बाधाओं को दूर करने की शक्ति देती है | गणपति के अंग अंग से जीवन की विघ्नों समाप्त करने की प्रेरणा मिलाती है | पेट बड़ा का अर्थ है व्यर्थ वा नकारात्मक बातों इधर उधर फैलाने के बजाय उसको अपने में समाना जिससे जीवन कि समस्या दूर हो जाती है | हमेशा व्यर्थ वा नकारात्मक बातो को कानो से ना सुनना | उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से आये हुए ब्रह्मा कुमार भगवान भाई ने कहे | वे जिला कारागृह (जेल) में बंद कैदियों को गणपति के आध्यत्मिक रहस्य द्वारा जीवन की बाधाओ से मुक्ति विषय पर बोल रहे थे।
भगवान भाई जी ने कहा कि सूंड आध्यात्मिक शक्ति की प्रतीक है । हाथी की सूंड इतनी मजबूत और शक्तिशाली होती है कि वह वृक्ष को भी उखाड़ कर, सूंड में लपेटकर ऊपर उठा लेता है । साथ ही छोटे-छोटे बच्चों को भी प्रणाम करता है, किसी को पुष्प अर्पित करता है, पानी का लोटा चढ़ाकर पूजा करता है । हमें भी अपनी बुरी आदतों को , अपराधिक संस्कारों को अपने दृढ़ संकल्पों से जीवन से उखाड़कर फैकना है |अपने स्वभाव द्वारा सभी को सम्मान,स्नेह और आदर देने में वह कुशल होता है । अपने पुराने संस्कारों को जड़ से पकड़कर निकाल फेंकने है ।
उन्होंने बताया कि बंधन रस्सी आत्मा का परमात्मा के साथ नाता जोड़ना भी प्रेम के बंधन में बँधना है । गणपति जी के एक हाथ में जो डोरे (बंधन) हैं वह इसी प्रेम के डोरे हैं । वे दिव्य नियमों के शुद्ध बंधन है । ज्ञानी स्वयं इन नियमों के बंधनों में स्वयं को ढालता है ।इसका दूसरा भाव है कि आत्मा परमधाम से अकेली आती है जैसे ही वह देह में प्रवेश करती हैं तो कई संबंधों के बंधनो में बंध जाती है और उनके साथ उसका कर्मों का लेखा जोखा शुरू हो जाता है । ऐसे कई बंधनों में बंधती चली जाती है । इसमें सुख के बंधन कम और दुख के बंधन अधिक होते हैं । इन बंधनों से मुक्त होने के लिए ही आत्मा ईश्वर के पास आती है कि मुक्तिदाता मुझे मुक्त करो ।
भगवान भाई ने कैदियों को कहा कि जीवन में नैतिक मूल्यों की धारणा करने की आवश्यकता है । जीवन में सद्गुण न होने के कारण ही समस्याएं पैदा होती है। उन्होंने कहा कि हम किसके बच्चे हैं? जिस परमात्मा के हम बच्चे हैं , वह तो शांति का सागर , दयालू , कृपालू , क्षमा का सागर है । हम स्वयं को भूलने से ऐसी गलतियां कर बैठते हैं । उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कर्म ना करें जिस कारण धर्मराज पूरी में हमें सिर झुकाना पडे , पछताना पडे , रोना पडे । स्वयं के अवगुण या बुराईयां हैं उसे दूर भगाना हैं , ईर्ष्या करना , लड़ना , झगड़ना , चोरी करना , लोभ , लालच , यह मनोविकार तो हमारे दुश्मन हैं । जिसके अधिन होने से हमारे मान , सम्मान को चोट पहुंचती हैं ।
• स्थानीय ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रभारी बी के गणेशी बहन जी ने बताया कि मनुष्य ने विषय वासनाओं की चादर ओढ़ी हुई है जो भगवान से वेमुख कर देती है। अगर भगवान से सर्व सम्बन्धों से याद किया जाए तो भगवान की शक्ति आ जाएगी और तन-मन में खुशी शान्ति आ जाएगी व सर्व मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी ।
• जेल के उप अधीक्षक ज्ञानासु भारतीय जी ने भी अपने सम्बोधन में बन्दियों कहा कि बताई बातों को अपने जीवन में प्रयोग करोगे तो अवश्य ही आप बुरी आदतों को छोड दोगे तथा अपने आप अच्छा सोचने लगेंगे और जेल से छुटने के बाद अच्छे नागरिक की तरह जीवन यापन करेंगे। अंत में उन्होंने ब्रह्माकुमारीज सस्था ऐसे कार्यक्रमों के लिए धन्यवाद किया भविष्य में ऐसे कार्यक्रम करने हेतु ब्रह्माकुमारी को निमन्त्रण भी दिया |
• बी के अरविन्द भाई जी ने बी के भगवान भाई जी का परिचय देते हुए कहा कि भगवान् भाई जी ने 2010 तक 5000 से अधिक स्कुलो में और 800 से अधिक जेलों में अपराध मुक्ति हेतु नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाकर नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है |
• कार्यक्रम में बी के मंगला बहन जी , बी के राजेश भाई , बी के मुकेश भाई , श्री भाई और जेल स्टाफ भी उपस्थित थे |
• कार्यक्रम के अंत में आपराध मुक्त बनने , मनोबल बढाने , बुरी आदतों को छोड़ने और सस्कार परिवर्तन के लिए भगवान भाई ने कॉमेंट्री द्वारा मेडिटेशन राजयोग कराया |
कार्यक्रम के अंत में सभी ने गणपति वंदना किया | जेल के सभी कैदी द्वारा गणेश कि मूर्ति कि स्थापना किया है |

विनोद जायसवाल
विनोद जायसवाल
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